….दी नई जिंदगी, ब्रेनडेड विजय मेनन ने बचाई पांच लोगों की जान

शाश्वत तिवारी


दिल्ली के एक 62 वर्षीय व्यक्ति विजय मेनन ने अंगदान के माध्यम से पांच लोगों को नया जीवनदान दिया है। नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम में बुधवार के दिन मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण विजय मेनन को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उनके निस्वार्थ भाव से जीवन जीने की भावना को देखते हुए उनके परिवार ने उनके जाने के बाद भी अन्य लोगों के जीवन को बचाने के लिए उनका अंगदान करने का निर्णय लिया। नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम के मेडिकल सुपरिटेंडेंट, डॉ. स्वदेश कुमार ने बताया कि मेनन को एक मई को लगभग बेहोशी की हालत में गंभीर सिरदर्द की शिकायत के साथ अस्पताल लाया गया था, जिसके बाद उनका सिटी स्कैन किया गया और फिर डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में भर्ती कर लिया लेकिन घंटों बाद भी उनके मस्तिष्क के अंदर रक्तस्राव बंद नहीं हुआ जिस कारण उनके मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया और हॉस्पिटल ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया, फिर उनके परिवार से अंगदान के बारे में परामर्श व उनकी स्वीकृति मिलने के बाद पांच लोगों को ट्रांसप्लांट के द्वारा नया जीवनदान मिला।

नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम के मेडिकल सुपरिटेंडेंट, डॉ. स्वदेश कुमार ने बताया कि भुवनेश्वर की रहने वाली 22 वर्षीय लड़की कंजेनिटल-क्रॉनिक लिवर डिजीज के कारण बचपन से पीड़ित थी, जिसके कारण उसे घर पर ही पढ़ाई करनी पड़ती थी। गुरुग्राम के नारायणा हॉस्पिटल में इस प्रत्यारोपण के बाद से उसे जिंदगी जीने की नई उम्मीद मिली है।  बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में किडनी ट्रांसप्लांट के प्रमुख डॉ. राजेश अग्रवाल ने कहा कि कल रात 9.30 बजे के करीब, गुरुग्राम के एक हॉस्पिटल में एक ब्रेन डेड अंग दाता से किडनी सफलतापूर्वक निकाली गई और ग्रीन कॉरिडोर का उपयोग कर  बालाजी इंस्टीट्यूट में शिवानी नाम की 20 वर्षीय युवा लड़की में प्रत्यारोपित किया गया, जो पिछले पांच वर्षों से डायलिसिस पर थी। शिवानी की हालत फिलहाल स्थिर है और उन्हें एक सप्ताह के अंदर अस्पताल से छुट्टी मिलने की उम्मीद है। शिवानी के परिवार ने उसे नया जीवन देने के लिए डोनर और उनके परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया है।

दान किए गए अंगों में से किडनी, हृदय और कार्निया को नाटो के सहयोग से सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रत्यारोपित किया गया। नाटो के माध्यम से ग्रीन कॉरिडोर द्वारा ट्रैफिक पुलिस, कानून व्यवस्था पुलिस व अन्य अधिकारियों के सहयोग से इन अंगों को स्थानांतरित किया गया। अंगदान करने वाले श्री मेनन की बेटी ने कहा कि मेरे पिता एक निःस्वार्थ व्यक्ति थे। उन्होंने अपने अंगदान करने और दूसरों को नया जीवन देने के हमारे फैसले को अपनी मृत्यु के बाद भी संजोया होगा, तभी उनके इस महान कार्य के बाद आज पांच लोगों को नया जीवनदान मिला है, हमें विश्वास है कि हमारे फैसले पर हमारे पिता को गर्व होगा।

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