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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि राजधानी में क़ानून व्यवस्था बिगड़ रही है लेकिन उपराज्यपाल वीके सक्सेना अपना काम छोड़कर सरकार के कामों में बाधा डाल रहे हैं। केजरीवाल ने उपराज्यपाल से मिली चिट्ठी का जवाब देते हुए आज कहा,कि सूर्य अपना काम करे और चंदा अपना काम करे, तभी अच्छे लगते हैं। मुख्यमंत्री को अपना काम करने दीजिए और आप दिल्ली की कानून व्यवस्था ठीक कीजिए। आपका काम क़ानून व्यवस्था, पुलिस और डीडीए संभालना है। हमारा काम दिल्ली के अन्य सभी विषयों पर काम करना है।
आप अपने काम छोड़कर रोज़ हमारे काम में दखल देंगे, तो व्यवस्था कैसे चलेगी? दिल्ली में लगातार अपराध बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष पर हमला हुआ। महिला आयोग की अध्यक्ष ही सुरक्षित नहीं तो एक आम महिला की क्या बात करें? मुख्यमंत्री ने कहा,कि आपने अपने पत्र में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की काफ़ी आलोचना की है। दिल्ली की जनता ने हमें तीसरी बार ऐतिहासिक बहुमत दिया है। जनता की नज़रों में हम अच्छा काम कर रहे हैं। फिर भी आपकी आलोचना सर माथे पर है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में पहले के मुकाबले ज़बर्दस्त सुधार हुए हैं लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। अभी बहुत लंबा सफर तय करना है। एक तरफ़ उपराज्यपाल दिल्ली के सभी मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टरों की सैलरी, लैब टेस्ट, किराया और बिजली बिल की पेमेंट रोक देते हैं और फिर कहते हैं कि मोहल्ला क्लिनिक अच्छे नहीं चल रहे? एक तरफ उपराज्यपाल अफ़सरों को कह कर दिल्ली जल बोर्ड के सारे फंड बंद करवा देते हैं और फिर कहते हैं कि दिल्ली वालों को पानी नहीं मिल रहा है। इस किस्म की राजनीति अच्छी नहीं है। उपराज्यपाल को ऐसी राजनीति से बचना चाहिए।
उन्होंने संवैधानिक अधिकारों की याद दिलाते हुए लिखा है कि संविधान ने आपको तीन जिम्मेदारियों दी हैं दिल्ली की कानून व्यवस्था, दिल्ली पुलिस और डीडीए। आज पूरे देश में दिल्ली की कानून व्यवस्था सबसे ख़राब है। दिल्ली में लगातार अपराध बढ़ते जा रहे हैं। किसी भी महिला का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पर हमला हुआ। यदि महिला आयोग की अध्यक्ष ही सुरक्षित नहीं है तो एक आम महिला की क्या बात करें। केजरीवाल ने कहा,कि दिल्ली वालों ने आज तक आपको दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर कोई काम करते नहीं देखा। दिल्ली की जनता आपको केवल उनकी चुनी हुई सरकार के रोज़मर्रा के कामों में हस्तक्षेप करते हुए ही देखा है। अगर दिल्ली के लोग अपने टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजना चाहते हैं। तो आप इसको क्यों रोकते हैं? (वार्ता)