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स्वतंत्रता की 79वी़ वर्षगांठ पर दिल को मोह लेने वाली कविता, जरूर पढ़ें…

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी आया दिन 15अगस्त का। स्मृतियों के द्वार खोलता।। बलिदानों बीरो की गाथा- के पन्ने हर साल खोलता।।1।। नफरत के जब बीज पनपते। धर्म जाति मे हम बंट जाते।। क्षणिक स्वार्थ मे तन्मय होते। तभी गुलामी मे फंस जाते।।2।। रक्त हमारा बहुत बहा है। धोखा बारंबार हुआ है।। कभी मुगल आकर घेरे […]

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