- प्रमुख सचिव कारागार को नहीं दिख रहा इन जेलों का भ्रष्टाचार
- बंदियों से अवैध वसूली और अधिकारियों का उत्पीड़न चरम पर
- तमाम शिकायतों के बाद भी आरोपी अधिकारियों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
नया लुक संवाददाता
लखनऊ। मोटी रकम देकर कमाऊ जेलों पर तैनात हुए जेल अधीक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। बुलंदशहर, मुरादाबाद जिला जेल इसका जीता जागता उदाहरण है। प्रमुख सचिव कारागार को इन जेलों में बंदियों के उत्पीड़न और वसूली का सच दिखाई ही नहीं पड़ रहा है। आला अफसरों का संरक्षण प्राप्त होने से इन अधीक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही होती ही नहीं है। यह सवाल विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। मिली जानकारी के मुताबिक मोटी रकम देकर मैनपुरी से बुलंदशहर जेल पहुंची महिला जेल अधीक्षक ने जेल में आतंक मचा रखा है। अधीक्षक ने जेल का प्रभार संभालते ही सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगाने से लेकर अवकाश स्वीकृत करने तक जिम्मेदारी जेलर के बजाए अपने हाथों में ले रखी है। महिला जेल अधीक्षक ने अपने चहेते कर्मियों की कमाऊ जगहों पर ड्यूटी लगा रखी है। इन सुरक्षाकर्मियों की महीनों ड्यूटी बदली ही नहीं जाती है।
यह कर्मी बंदियों से अवैध वसूली कर वसूली की रकम अधीक्षक तक पहुंचाते है। इस वजह से इनकी ड्यूटी बदली ही नहीं जाती है। ऐसा तब किया जा रहा है जब विभागाध्यक्ष ने समस्त जेल अधीक्षकों को निर्देशित कर रखा है कि समस्त कर्मियों की ड्यूटी रोटेशन में लगाई जाए। बुलंदशहर जेल अधीक्षक के लिए डीजी जेल का आदेश कोई मायने नहीं रखता है। उन्होंने मशक्कत, बैठकी, मनचाही बैरेक में जाने के लिए मोटी रकम वसूल करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है । इसके साथ ही बंदी कल्याण कोष के लिए संचालित कैंटीन में मनमाफिक दामों पर खाद्य वस्तुएं बिकवाकर जेब भरने में जुटी हुई हैं।
ऐसा ही हाल मुरादाबाद जेल का भी है। इस जेल में भी बंदियों के उत्पीड़न और अवैध वसूली का मामला सामने आया। एक राजनैतिक दल के पदाधिकारियों ने डीएम से लेकर डीजी जेल तक को पत्र भेजकर जेल में हो रही अनाप शनाप वसूली की शिकायत की। कुछ समय तक यह मामला सुर्खियों में रहने के बाद ठंडे बस्ते में चला गया। इसी प्रकार आगरा जिला जेल का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें हिंदू परिषद के नेताओं की ओर से जारी एक वायरल वीडियो में जेल प्रशासन के बंदियों के उत्पीड़न और अवैध वसूली की खुलेआम शिकायत की गई। यह मामला भी कुछ दिनों बाद ही फाइलों में कैद होकर रह गया। बंदियों से खुलेआम हो रही अवैध वसूली और उत्पीड़न की शिकायतों के बाद भी प्रमुख सचिव कारागार को बुलंदशहर, मुरादाबाद और आगरा जेल में खुलेआम चल रहा भ्रष्टाचार दिखाई ही नहीं पड़ रहा है। यही वजह है कि शासन और मुख्यालय के अधिकारियों ने किसी भी दोषी अधिकारी और सुरक्षाकर्मी के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। विभागीय अधिकारियों में अटकलें लगाई का रही है ऊंची पहुंच और शासन में मजबूत पकड़ रखने वाले जेल अधीक्षकों पर कार्रवाई होती ही नहीं है। उधर इस संबंध में जब प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी इनसे बात नहीं हो पाई।
