- रुझान तो यही बता रहे हैं कि “टाइगर जिन्दा है…”
News Room से अनिल उपाध्याय
बिहार में रूझान बता रहे हैं कि इस बार NDA के पक्ष में Land Slide हो रही है और बीजेपी बड़े भाई के रूप में स्थापित होते दिख रही है। महागठबंधन को ज्यादा नुकसान कांग्रेस के खाते से होता नजर आ रहा है। सबसे बुरा हाल प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का है जिसका खाता खुलना तो दूर बल्कि उम्मीदवार जमानत बचाने में भी कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं। इस बार महिला वोटरों ने जमकर वोट डाले और उनका वोट प्रतिशत पिछली बार से करीब 10 फीसदी ज्यादा रहा। ऐसे में यही माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को दी गयी दस हजार की सहायता राशि का ही कमाल है कि चुनाव नतीजे एक तरफा NDA के पक्ष में नजर आ रहे हैं।
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बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनती नजर आ रही है पर इसमें असल खेला नीतीश बाबू का ही नजर आ रहा है। सियासत के माहिर नीतीश ने विधानसभा क्षेत्र के हाटा में महिला वोटरों को साधने के लिए एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए कहा था कि अब बिहार की महिलाओं को महिला रोजगार योजना के तहत मिली दस हजार की सहायता राशि को लौटाना नहीं पड़ेगा। इसे पूरी तरह से माफ कर दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच से कहा कि यह राशि महिलाओं को रोजगार शुरू करने के लिए दी गई थी और अब इसे वापस करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह नीतीश का मास्टरस्ट्रोक और बिहार की चुनावी नब्ज की गंभीर समझ थी जो समझ गयी थी बिहार में निर्णायक भूमिका आधी आबादी ही निभाएगी और ऐसे में उन्होने इसे पूरी तरह साधकर अपने पक्ष में कर लिया। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा कर डाली कि जो महिलाएं अपने रोजगार को ठीक ढंग से चला रही हैं, उन्हें भविष्य में दो लाख तक की ऋण सहायता भी प्रदान की जाएगी, ताकि वे अपने व्यवसाय का और अधिक विस्तार कर सकें।
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बिहार में यही महिलाएं साइलेंट फोर्स NDA के पक्ष में खड़ी हो गयीं। नीतीश जानते थे कि यही महिलाएं किसी के लिए साइलेंट किलर बन सकती हैं तो किसी को सत्ता की चाबी भी थमा सकती हैं। बिहार में शराबबंदी लागू करने के चलते नीतीश कुमार की महिलाओं में लोकप्रियता काफी है। ऐसे में अगर नतीजे एनडीए के पक्ष में आ रहे हैं तो यह नीतीश कुमार के दस हजार के Top Up का ही कमाल है और यही महिलाएं उन्हें एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बन रही हैं। आगे नतीजे क्या कहते हैं अभी तय होना बाकी है पर शुरुआत काफी कुछ बता रही है… और महसूस होने लगा कि इस बार फिर नीतीश सरकार।

