- लखनऊ में दो स्थानों पर ताबड़तोड़ हुई फायरिंग
- जौनपुर में पिता-पुत्रों की निर्मम तरीके से हत्या
- गाजियाबाद में हिस्ट्रीशीटर का आतंक, पुलिस टीम पर झोंकी फायरिंग, गोली लगने से एक पुलिस जवान की मौत
लखनऊ। यूपी सरकार और पुलिस महकमा कानून-व्यवस्था को लेकर सबकुछ कंट्रोल में होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन कड़वा सच यह है कि बेख़ौफ़ बदमाशों ने 24 घंटे के भीतर एक दर्जन से अधिक हत्याओं को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दे डाली।
राजधानी लखनऊ के गाजीपुर थाना क्षेत्र के सर्वोदय नगर में रविवार शाम पुलिस चौकी से चंद कदमों की दूरी पर भरी भीड़ के असलहों से लैस बदमाशों ने जमीन कारोबारी मुरसलीन के ऊपर गोलियों की बौछार कर जख्मी कर दिया जो अस्पताल में जीवन और मौत के बीच जूझ रहा है।
इस सनसनीखेज मामले की चर्चा खत्म भी नहीं हुई थी कि जौनपुर जिले के जाफराबाद थाना क्षेत्र स्थित महमदपुर कांध गांव निवासी पिता व दो बेटों के ऊपर किसी भारी वस्तु से वारकर बदमाशों ने मौत की नींद सुला दिया।
गाजियाबाद जिले के मसूरी क्षेत्र स्थित नाहल गांव निवासी हिस्ट्रीशीटर कादिर को दबोचने के लिए नोएडा पुलिस दल-बल के साथ पहुंची कि बेख़ौफ़ हिस्ट्रीशीटर कादिर और उसके समर्थकों ने पुलिस टीम पर फायरिंग झोंकनी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में सिपाही सौरभ के सिर में गोली लगने से मौत हो गई।
राजधानी लखनऊ के बंथरा क्षेत्र में एक व्यक्ति की हत्या कर बदमाशों ने सनसनी फैला दी। यह तो महज बानगी भर शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों में चाक-चौबंद का दावा करने वाली यूपी पुलिस की कार्यशैली पर गौर करें तो 24 घंटे के भीतर सूबे के अलग-अलग जिलों में 14 लोगों की हत्याएं बदमाशों ने कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी।
पुलिस के जिम्मेदार आलाधिकारियों के दावों पर नजर डालें तो जिस तरह से हुई ताबड़तोड़ घटनाओं से यही लग रहा है कि अब बदमाशों के भीतर खाकी वर्दी का खौफ नहीं रहा है।
बदमाशों के दुस्साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने गाजियाबाद जिले के मसूरी क्षेत्र स्थित नहाल गांव में हिस्ट्रीशीटर कादिर और उसके समर्थकों ने पुलिस टीम पर फायरिंग झोंक पुलिस जवान सौरभ के सीने में गोलियों की बौछार कर मौत की नींद सुला दिया।
ससे पहले की घटनाओं पर गौर करें कानपुर में कुख्यात विकास दुबे ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर आठ पुलिसकर्मियों के सीने में गोलियों की बौछार कर मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि पुलिस ने मुठभेड़ में उसे और उसके भतीजे को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। सवाल है कि पुलिस के ऊपर बदमाशों का आतंक कोई पहला नहीं है वर्ष 20213 डीएसपी जिया उल हक को भी बदमाशों ने बेरहमी से पीट-पीटकर मौत की नींद सुला दिया था। घटना के बाद पुलिस के आलाधिकारियों की नींद टूटती है लेकिन कुछ कदम चलने के बाद पूरी कवायद फाइलों में दफन हो कर रह जाती है, नतीजतन आज भी बेख़ौफ़ बदमाशों का कहर बरकरार है जो थमने का नाम नहीं ले रहा है।
