- उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा छह से आठ के शिक्षकों के लिए तैयार हुआ है मॉड्यूल
- बच्चों में समाज को समझने की दृष्टि भी विकसित कर पाएंगे शिक्षक: डॉ. पवन सचान
- सामाजिक विज्ञान अब विचार, विमर्श, अनुभव और नागरिक चेतना की प्रयोगशाला बनेगा
- विद्यर्थियों को प्रश्न, तर्क, तुलना और समाधान खोजने में निपुण बनाने को प्रतिबद्ध है सरकार: संदीप सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सामाजिक विज्ञान की कक्षा अब केवल तिथियों, घटनाओं और परिभाषाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह विचार, विमर्श, अनुभव और नागरिक चेतना की प्रयोगशाला बनेगी। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6 से 8) के शिक्षकों के लिए सामाजिक विज्ञान का विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल ‘दिशांतरण’ तैयार किया है, जो शिक्षण को रटंत से निकालकर जीवन से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस मॉड्यूल का मूल उद्देश्य सामाजिक विज्ञान को केवल एक विषय न मानकर समाज को समझने, स्वीकारने और सुधारने की सोच विकसित करने का माध्यम बनाना है। परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत सामाजिक विज्ञान के शिक्षक न केवल पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं, बल्कि वही भावी नागरिकों के मन में लोकतांत्रिक मूल्यों, सह-अस्तित्व, संवेदनशीलता और सामाजिक उत्तरदायित्व की नींव भी रखते हैं। ‘दिशांतरण’ इसी भूमिका को मजबूत करने के लिए तैयार किया गया है।

‘दिशांतरण’ मॉड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भावना के अनुरूप सामाजिक विज्ञान शिक्षण को रटंत से निकालकर चिंतन, संवाद और नागरिक चेतना से जोड़ने की एक ठोस पहल है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन से विद्यार्थियों की विषय में रुचि बढ़ेगी, कक्षाओं का वातावरण अधिक जीवंत और सहभागितापूर्ण होगा तथा बच्चे संवेदनशील, जिम्मेदार और जागरूक नागरिक के रूप में विकसित होंगे। यह प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण और मूल्य-आधारित शिक्षा व्यवस्था की दिशा में एक दूरगामी कदम है। संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और नवीन राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा-2023 के अनुरूप तैयार यह मॉड्यूल शिक्षकों को विषय-वस्तु की सरल व्याख्या के साथ-साथ शिक्षण-अधिगम की आधुनिक और प्रभावी विधियों से भी लैस करेगा। बता दें कि ‘दिशांतरण’ में गतिविधि आधारित शिक्षण, स्थानीय परिवेश से जुड़े उदाहरण, परियोजना कार्य, सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE), डिजिटल संसाधनों का समुचित उपयोग और तकनीकी एकीकरण जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर व्यावहारिक मार्गदर्शन देगा।
मॉड्यूल में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि छात्र केवल जानकारी प्राप्त न करें, बल्कि प्रश्न करें, तर्क करें, तुलना करें और समाधान खोजने की प्रक्रिया से जुड़ें। इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र जैसे विषयों को की-वर्ड और परिभाषाओं तक सीमित रखने के बजाय उन्हें दैनिक जीवन, सामाजिक व्यवहार, पर्यावरण, नागरिक दायित्व और लोकतांत्रिक सहभागिता से जोड़ने की दिशा में यह मॉड्यूल एक स्पष्ट रूपरेखा देने वाला है। दिशांतरण’ मॉड्यूल का उद्देश्य सामाजिक विज्ञान को रटंत से निकालकर अनुभव, संवाद और चिंतन से जोड़ना है। यह शिक्षकों को ऐसी कक्षाएं संचालित करने के लिए सक्षम बनाएगा, जहां छात्र केवल तथ्य नहीं, बल्कि समाज को समझने की दृष्टि भी विकसित करें।
- गणेश कुमार, निदेशक, SCERT लखनऊ
‘दिशांतरण’ में विषय-वस्तु का सरलीकृत विश्लेषण, स्थानीय परिवेश आधारित गतिविधियां, मानचित्र और चार्ट के प्रभावी उपयोग, निरंतर मूल्यांकन की तकनीकें, डिजिटल शिक्षण सामग्री और सामाजिक विज्ञान में व्यावहारिक शिक्षा जैसे घटकों को विशेष रूप से शामिल किया गया है। इसके माध्यम से यह प्रयास किया गया है कि कक्षा-कक्ष केवल ज्ञान देने का स्थान न रहकर संवाद, अनुभव और सामाजिक समझ का केंद्र बने। यह मॉड्यूल शिक्षकों को विषय-वस्तु के साथ-साथ गतिविधि-आधारित शिक्षण, स्थानीय संदर्भों के प्रयोग और डिजिटल संसाधनों के प्रभावी उपयोग की स्पष्ट दिशा देता है। इससे सामाजिक विज्ञान की कक्षा अधिक जीवंत, उपयोगी और व्यवहारिक बनेगी।
- डॉ. पवन सचान, संयुक्त निदेशक, SCERT
