- खेल में खेल- कमजोर कानून बना तस्करों का हथियार
- बुलेट नहीं, तस्करी रास आ रहा जरायम की दुनिया
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। अपहरण, हत्या और रंगदारी। अपराध की दुनिया का आतंक कभी इन शब्दों के आसपास था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बदलते ज़माने का दस्तूर कहें या फिर कम जोखिम में लाखों-करोड़ों कमाने की चाहत कभी बुलेट के पीछे भागने वाले अपराधियों की खेप अब ड्रग्स और अवैध कोडीन युक्त कफ सीरप जैसे गोरखधंधा करने में अपनी जड़ें जमा रही है।
अवैध कफ सीरप की सप्लाई करने के आरोप में वाराणसी निवासी शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद जायसवाल, बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह, अमित टाटा सहित दर्जन भर हुई गिरफ्तारी से इस बात की तस्दीक हो जाती है। कि पुलिस और संबंधित विभाग के तमाम दावों के बावजूद यूपी में इनकी जडें काफी गहरी है।
एक दर्जन से अधिक गिरफ्तारियों से पुलिस और संबंधित विभाग के आलाधिकारी भले अपनी पीठ थपथपा ले लेकिन कड़वा सच यह है कि करोड़ों के इस खेल की बड़ी मछलियों का शिकार करना अभी दूर की कौड़ी है और तमाम युवा इस गोरखधंधे में अपनी जड़ें तलाश रहे हैं। यह तो ज़हरीले कफ सीरप का मामला है हाल ही में यूपी की एसटीएफ और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स नशे के कई सौदागरों को दबोचा तो इससे साफ है कि इनका नेटवर्क एक शहर ही नहीं बल्कि देश भर में फैला है।
