टीम बनने के बाद ही पता चलेगा पंकज चौधरी योगी को साधने आये हैं या बांधने!

मनोज श्रीवास्तव

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह ने उत्तर प्रदेश में 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चयन में क्षेत्रीय संतुलन की बड़ी अनदेखी किया है। लोकसभा चुनाव में कुर्मी बेल्ट से भाजपा प्रत्याशियों की हुई हार से डरा नेतृत्व प्रदेश के नेतृत्व हेतु नया कुर्मी चेहरा उतार कर समाजवादी पार्टी के पीडीए से दो-दो हाथ करने का संदेश दिया है। भारत-नेपाल सीमा से सटे जिले महराजगंज का सात बार संसद सदस्य चुने गये पंकज चौधरी क्षेत्र के पुराने धनाढ्य हैं। अधिकतर गोरखपुर में रह कर महाराज की राजनीति के साथ नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को महराजगंज में जीत तो मिल गयी थी लेकिन कुर्मी बाहुल्य लोकसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशी बड़े अंतरों से पराजित हुये थे। संतकबीरनगर, बस्ती, श्रावस्ती, अंबेडकर नगर, अयोध्या, बाराबंकी, फतेहपुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, बाँदा-चित्रकूट, प्रयागराज, फूलपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, आँवला वह प्रमुख सीटें हैं जहां कुर्मी निर्णायक स्थिति में है।इसके अलावा जिन सीटों को भाजपा ने जीता है उनमें अंतर घटा है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी, व कुर्मी वोटों को हायर करने के लिये जिस अपना दल सोनेलाल पटेल की पार्टी से गठबंधन किया है उसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का भी अंतर घटा है।यूपी के कुर्मी समाज में पैठ बढ़ाने के लिये धनाढ्य व बड़े कुर्मी का सहारा लिया है।माना जा रहा है कि पंकज चौधरी के आने के बाद थोड़ी-थोड़ी बात पर फुंनकने वाले अपना दल सोने लाल पटेल के अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के पति व उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आशीष पटेल की बड़बोली पर लगाम लगेगा।

इतने बड़े उत्तर प्रदेश के सत्ता और संगठन का शक्ति केंद्र गोरखपुर हो गया।बहुत हद तक अब मंत्रिमंडल विस्तार व संगठन के समायोजन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड, और बृज क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का दबाव बढ़ेगा। यदि पंकज चौधरी यूपी में भाजपा की पैठ बढ़ाने के लिये योगी सरकार के साथ कदम में कदम मिला कर उनको साध कर चलेंगे तो 2027 के विधानसभा चुनाव में दोनों का हित होगा।

यदि सरकार में बैठे लोगों को घेरने के लिये संगठन के लोगों की उपेक्षा, सरकार के निगम, आयोगों के रिक्त पड़े पदों पर कार्यकर्ताओं का समायोजन मुद्दा बनाये और बिना योगी आदित्यनाथ से सामंजस्य बनाये दबाव बना के बांधने को प्राथमिकता देंगे तो टकराहट बढ़ेगा। फिलहाल अभी यही माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी में भाजपा की जड़े मजबूत करने के लिये पंकज चौधरी को केंद्रीय राज्यमंत्री से उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है। एसआईआर के बाद अगले एक महीने में कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में सरकार का हिस्सा बन कर सहयोग करना है। उसके बाद सांगठनिक रूप से उन जिम्मेदार युवाओं को पार्टी के विभिन्न पदों पर समायोजित किया जायेगा, जो न केवल 2027 का विधानसभा चुनाव जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा की जड़ो को अपराजेय बनाने के लिये खुद को झोंक दें।

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