- रामायण के ‘राम’ अरुण गोविल की लोकसभा में दो टूक मांग
नई दिल्ली। लोकसभा के शून्यकाल में मेरठ से भाजपा सांसद और ‘रामायण’ के श्रीराम बने अरुण गोविल ने एक ऐसा मुद्दा उठाया कि सदन में सन्नाटा छा गया। उन्होंने कहा, “देश के हर बड़े सार्वजनिक स्थल – मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च, स्कूल, अस्पताल, बाजार, मॉल – में CCTV कैमरे लग चुके हैं। ये पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए बेहद कारगर साबित हुए हैं। लेकिन मस्जिदों और मदरसों में आज तक यह व्यवस्था क्यों नहीं है? ये भी उतने ही बड़े सामुदायिक स्थल हैं जहां रोजाना हजारों लोग आते-जाते हैं।”
गोविल ने तर्क दिया कि सुरक्षा किसी धर्म विशेष की नहीं, पूरे राष्ट्र की होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया, “इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल – सऊदी अरब के मक्का और मदीना में – सुरक्षा के लिए चारों तरफ CCTV कैमरे लगे हैं। वहां की सरकार इसे जरूरी मानती है। जब वहां संभव है, तो भारत में समान सुरक्षा मानक क्यों नहीं अपनाए जा सकते?” सांसद ने स्पष्ट किया कि उनका बयान किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है। “मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि राष्ट्रीय सुरक्षा नीति एक समान होनी चाहिए। अगर मंदिर-गुरुद्वारे में कैमरा लग सकता है तो मस्जिद-मदरसे में क्यों नहीं? इससे अपराध नियंत्रण, महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ेगी।”
अरुण गोविल ने केंद्र सरकार से अपील की कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाई जाए जिसमें सभी बड़े धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों (चाहे किसी भी धर्म के हों) में CCTV अनिवार्य किया जाए। उन्होंने कहा, “आज के दौर में तकनीक सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार है। हमें पुराने संकोच छोड़कर इसे हर जगह लागू करना चाहिए।”
गोविल का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई लोग इसे “समान कानून, समान सुरक्षा” का तर्क बता रहे हैं तो कुछ इसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील मान रहे हैं। हालांकि, गोविल अडिग हैं – “सुरक्षा से बड़ा कोई धर्म नहीं। अगर मक्का में कैमरा लग सकता है तो भारत में क्यों नहीं?”
यह मुद्दा अब संसद से बाहर सड़क तक चर्चा में है। विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी सुरक्षा को धार्मिक स्थलों से जोड़ना नया नहीं है – इजराइल, सऊदी अरब और कई यूरोपीय देशों में बड़े धार्मिक स्थल पूरी तरह CCTV कवरेज में हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाती है।
