- 20 साल से संघ में वाहन का प्रभार संभाल रहे एसपी सिंह को भी अस्थाई नियुक्ति
- सेवानिवृत अधिकारियों को सौंप दी गई कई चीनी मिलों की कमान
- सहकारी चीनी मिल संघ और मिलों में रिटायर अफसरों की चांदी
नया लुक संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ में सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मियों को अस्थाई नियुक्ति देने का सिलसिला थामने का नाम नहीं ले रहा है। संघ में करीब 20 साल तक वाहन का प्रभार संभालने वाले अधिकारी को भी सेवानिवृत होने के बाद अस्थाई नियुक्ति प्रदान कर दी गई है। संघ मुख्यालय में कथित माफिया चीनी मिल अधिकारी परिषद के नामित अध्यक्ष होने के नाते संघ में अधिकारियों की समस्याओं के संघर्ष के भी चर्चित रहा है। समय समय पर विरोध प्रदर्शन करने वाले इस माफिया को भी अस्थाई नियुक्ति दी गई है। इसको लेकर संघ मुख्यालय में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक चीनी मिल संघ में सेवानिवृत प्रधान प्रबंधक तकनीकी विनोद कुमार अग्रवाल को अस्थाई नियुक्ति देने का मामला निपट भी नहीं पाया था कि संघ में दबंग माफिया की छवि रखने वाले और 20 साल से वाहन का प्रभार संभाल रहे एसपी सिंह को भी सेवानिवृत के बाद अस्थाई नियुक्ति प्रदान कर दी गई। इससे पूर्व चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की मुखिया ने चीनी मिलों से सेवानिवृत हुए कई प्रभारी प्रधान प्रबंधक को नियमों को दर किनार कर चीनी मिलों में प्रभारी प्रधान प्रबंधक बना रखा है। रामपुर की रुद्र बिलासपुर सहकारी चीनी मिल में मुख्य अभियंता/ प्रभारी प्रधान प्रबंधक के पद से सेवानिवृत हुए आरके जैन और बरेली जनपद की सेमीखेड़ा चीनी मिल से रिटायर हुए मुख्य लेखाकार/ प्रभारी प्रधान प्रबंधक किशन लाल को सेवानिवृत्त उपरांत गुपचुप तरीके से सभी नियमों को दर किनारे करते हुए चीनी मिलों पर पुनः प्रभारी प्रधान प्रबंधक के पद पर नियुक्ति दी गई है।
इन सेवानिवृत्त प्रभारी प्रधान प्रबंधक को नियमों को दर किनार करके वित्तीय अधिकार दे दिए गए। मामला अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग से जुड़ा होने के कारण विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। सूत्र बताते है कि उन्होंने ही गुपचुप तरीके से इन अधिकारियों को सेवानिवृत्त उपरांत चीनी मिलों में तैनाती के आदेश जारी किए है। इसी प्रकार शासन में विशेष सचिव पद से सेवानिवृत हुए आरबी सिंह को सेवानिवृत्त उपरांत गुपचुप तरीके से चीनी मिल संघ मे लीगल का प्रभार सौंप रखा गया है। श्री सिंह ने न तो एलएलबी की डिग्री हासिल कर रखी है और न ही इनके पास लीगल के कार्यों का कोई अनुभव प्राप्त है। चीनी मिल संघ मुख्यालय से करीब पांच साल पहले मुख्य लेखाकार पद से सेवानिवृत हुए सतेंद्र श्रीवास्तव से रिटायरमेंट के बाद भी संघ में मुख्य लेखाकार जैसा वित्तीय कार्य कराया जा रहा है।
सूत्र बताते है कि इस कड़ी में लीगल का कोई अनुभव नहीं रखने वाले संघ से ही सेल्स विभाग से सेवानिवृत्त एसपी दीक्षित को सेवानिवृत्त उपरांत लीगल का कार्य, सेवानिवृत्त एमएन जोशी को संघ के प्रबंध निदेशक का निजी सचिव, राम सिंह को संयुक्त प्रबंध निदेशक का निजी सचिव, आरके गुप्ता एवं दीपक सिंह को रिटायरमेंट के बाद प्रभारी मुख्य रसायनज्ञ, सुदर्शन और मल्होत्रा जैसे कर्मचारियों को सेवानिवृत्त उपरांत क्रय जैसे महत्वपूर्ण विभाग के प्रभार सौंप रखे गए है। इसके अलावा सत्यदेव, राजेश और हीरा लाल पाल सहित कई बाबुओं को सेवानिवृत होने के बाद भी उन्हें संघ में रखा गया है। इन अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवानिवृत होने के बाद किन नियमों के अंतर्गत महत्वपूर्ण पदों पर रखा गया है। इसका किसी अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं है। उधर एसीएस गन्ना विकास वीना कुमारी मीणा से कई प्रयासों के बाद भी बात नहीं हो पाई।
नई प्रबंध निदेशक के लिए संघ में चुनौतियों का अंबार
उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ मुख्यालय और चीनी मिलों से सेवानिवृत हुए अधिकारियों को हटाना नई प्रबंध निदेशक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर दर्जनों की संख्या में सेवानिवृत अधिकारियों को अस्थाई नियुक्ति के साथ वित्तीय अधिकार तक सौंप रखे है। संघ में नई प्रबंध निदेशक के आने के बाद यह मामला चीनी मिलों के अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि नियमों को दर किनार कर दिए गए वित्तीय अधिकार छीनना नई प्रबंध निदेशक के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। संघ और सहकारी चीनी मिलों से सेवानिवृत हुए अधिकारियों और कर्मचारियों से नियम विरुद्ध और मनमाने तरीके से क्रय विभाग, लीगल, अकाउंट और प्रोडक्शन जैसे महत्वपूर्ण विभाग में काम पर रखा गया है। बागपत चीनी मिल में सत्यपाल शर्मा, मोरना चीनी मिल में ऋषिपाल, गजरौला मिल में अनिल शर्मा, पूरनपुर मिल में दीक्षित, नानपारा मिल में गंगासागर इसका जीता जागता उदाहरण है। इनसे क्रय विभाग का कार्य कराया जा रहा है। गंगा सागर को तो नानपारा चीनी मिल से सेवानिवृत हुए 10 साल से अधिक का समय बीत चुका है। इसके बाद भी वह अधिकारियों की मेहरबानी से अभी तक भी सेवा में बने हुए हैं। यदि सहकारी चीनी मिल संघ सहित सभी 23 सहकारी चीनी मिलों में सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों/कर्मचारियों को सेवानिवृत्त उपरांत रखने की जांच कराना नई प्रबंध निदेशक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
