भारत में साइबर क्राइम अब महामारी की शक्ल अख्तियार कर चुका है। लोकसभा में मंगलवार को गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के अनुसार:
- 2021 में दर्ज मामले: 4.52 लाख
- 2022 में: 10.29 लाख (127.44% की भयानक बढ़ोतरी)
- 2023 में: 15.96 लाख (55.15% बढ़ोतरी)
- 2024 में: 22.68 लाख (42.08% बढ़ोतरी)
यानी सिर्फ चार साल में साइबर अपराध के मामले पांच गुना से ज्यादा हो गए।
सबसे डरावना आंकड़ा वित्तीय नुकसान का है। ठगों ने आम लोगों की जेब से ये रकम निकाली:
- 2022 → ₹2,290 करोड़
- 2023 → ₹7,465 करोड़
- 2024 → ₹22,846 करोड़ (2023 से लगभग तीन गुना!)
2024 में हर दिन औसतन 6,218 मामले दर्ज हुए और रोजाना करीब 62.6 करोड़ रुपये की ठगी हुई। ओटीपी शेयर करने, फेक लिंक क्लिक करने, इन्वेस्टमेंट स्कैम, जॉब फ्रॉड और सेक्सटॉर्शन जैसे हथकंडों से ठग लगातार शिकार बना रहे हैं।
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सरकार ने भले ही ‘साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान’ और ‘1930 हेल्पलाइन’ शुरू की हो, लेकिन अपराध की रफ्तार रोकने में अभी सफलता नहीं मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक आम नागरिक डिजिटल साक्षरता नहीं बढ़ाएंगे और बैंक-यूपीआई कंपनियां दो-स्तरीय सत्यापन को और मजबूत नहीं करेंगी, तब तक यह लूट जारी रहेगी।
