देहरादून। बहुचर्चित द लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोआपरेटिव सोसाइटी (LUCC) घोटाले में अभिनेता श्रेयस तलपड़े व आलोक नाथ की मुश्किलें भी बढ़ने वाली हैं। देहरादून के रायपुर थाने में दर्ज 6.27 करोड़ के एक मुकदमे में फिल्म अभिनेता श्रेयस तलपड़े व आलोक नाथ में नामदज किया है। अब CBI की ओर से दर्ज मुकदमे में दोनों अभिनेताओं को आरोपितों की सूची में शामिल किया है। ठगी करने के मकसद से आरोपितों ने पीड़ितों को बताया कि सोसाइटी भारत सरकार के अधीन पंजीकृत संस्था है, जिसके ब्रांड एंबेस्डर फिल्म अभिनेता आलोक नाथ व श्रेयस तलपड़े हैं। आरोपितों के झांसे में आकर पीड़ितों ने करोड़ों रुपये का निवेश कर दिया।
इस मामले में पूर्व से जांच कर रही CBCID की एक टीम गत दिनों पूर्व अभिनेता श्रेयस तलपड़े के घर मुंबई पहुंची थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए श्रेयस तलपड़े ने सर्वोच्च न्यायालय से गिरफ्तारी से स्टे ले लिया। सोसाइटी बहु राज्य सहकारी समिति के अंतर्गत पंजीकृत थी और इसका कार्यक्षेत्र उत्तर प्रदेश व दिल्ली राज्यों तक ही सीमिति था। इसके बावजूद समिति ने उत्तराखंड के कई जिलों में कई शाखा कार्यालय व सुविधा केंद्र खोल और उच्च रिटर्न व नियमित लाभांश का आश्वासन देकर जनता से धनराशि जुटाई। घोटाले का मुख्य आरोपित समीर अग्रवाल है, जोकि करोड़ों का घोटाला करके विदेश फरार हो गया। उसके विरुद्ध ब्लू कार्नर नोटिस और लुक आउट नोटिस जारी किए गए है।
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LUCC घोटाले का पहला मुकदमा कोतवाली कोटद्वार में तृप्ति नेगी की तहरीर पर दर्ज हुआ था। पीड़ित ने बताया कि वह एलयूसीसी शाखा दुगड्डा पौड़ी गढ़वाल सब कार्यालय दुर्गापुर कोटद्वार में एजेंट के रूप में अगस्त 2022 से कार्य कर रही है। आरोपितों ने उन्हें पूर्ण विश्वसनीय कंपनी बताते हुए विश्वास में लिया। उन्होंने आरडी योजना के अंतर्गत् 33 आरडी खुलवाई। इनका प्रतिमाह की किश्तें लगातार फरवरी 2024 तक जमा कराई। जब उन्हाेंने पासबुक में एंट्री कराई तो पता चला कि कई महीनों से उनकी ओर से दी गई किश्त जमा ही नहीं की गई। जब उन्होंने कंपनी के मैनेजर व कैशियर प्रज्ञा रावत से इस संबंध में बात की तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
उच्च न्यायालय की ओर से इस मामले में CBI का सहयोग करने के लिए उत्तराखंड पुलिस को आदेश जारी किए हैँ। कोर्ट ने उत्तराखंड पुलिस को आदेश दिए हैं कि CBI को अपेक्षित जनशक्ति उपलब्ध कराएं। इसमें जांच करने और सहायता करने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी, कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल, कंप्यूटर, टाइपिंग व रिकार्ड रखरखाव में कुशल तकनीकी कर्मचारी, डोवर के साथ-साथ सरकारी वाहन और जांच के दौरान कार्यालय स्थान और आवास के रूप में कार्य करने के लिए उपयुक्त राज्य आवास या गेस्ट हाउस परिसर शामिल हैं।
