- पूर्व मुख्य सचिव को ACS मीणा ने बताया भ्रष्टाचारी, कहा – अनुचित खर्च किया धन
- इस धनराशि का अनुचित तरीके से उपयोग करने का आरोप
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार में कई प्रमुख विभागों में बतौर प्रमुख सचिव काम कर चुके पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को 10 करोड़ रुपए की वसूली का एक नोटिस जारी हुआ है। उन्हें यह नोटिस अपर मुख्य सचिव व सदस्य सचिव एसएलईसी बीएल मीना ने 4 अक्टूबर को राज्य की एग्रो प्रोसेसिंग नीति 2023 में जुड़ी अनियमितताओं के मामले में जारी हुआ है। इस फैसले के बाद राज्य की ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप मचा हुआ है।
सोशल मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार, अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा द्वारा ने इस आदेश में कहा है कि UPDSC (उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम्स कॉरपोरेशन लिमिटेड) ने नीति के क्रियान्वयन में गाइडलाइन के विपरीत कार्य किया है। इसके लिए पूर्व मुख्य सचिव से जवाबदेही तय की गई है। इस आदेश में यह कहा गया है कि यूपीडीएससी ने 10 करोड़ रुपये की धनराशि का नीति के कार्यान्वयन के दौरान अनुचित तरीके से उपयोग किया।
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अपर मुख्य सचिव ने अब 10 करोड़ रुपए की यह राशि ट्रेजरी में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय भी इस मामले की गंभीरता से समीक्षा कर रहा है। इस पत्र की प्रति शैलेन्द्र प्रताप सिंह, प्रबंध वित्त व तकनीकी समन्वयक, UPDSC , लखनऊ को संबोधित है। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि निर्धारित अवधि में राशि न जमा कराने की स्थिति में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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यह मामला सरकार की “खास प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 के अंतर्गत विभिन्न औद्योगिक इकाइयों को दिए गए अनुमोदन और उनके वित्तीय अनुमोदनों से जुड़ा बताया जा रहा है। पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की छवि तेज-तर्रार अफसर की मानी जाती रही है और कार्यकाल के दौरान वे मुख्यमंत्री योगी के भी विश्वासपात्र माने जाते थे। ऐसे में इस नोटिस के बाद राज्य की ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप मचा हुआ है।
