राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आश्विन पूर्णिमा मनाई जाएगी, जिसे शरद पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह साल की सबसे महत्वपूर्ण तिथि होती, जब लोग विभिन्न तरह के पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं।
शरद पूर्णिमा कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 07 अक्टूबर को सुबह को 09 बजकर 16 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
शरद पूर्णिमा स्नान-दान समय
- ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
- लाभ-उन्नति मुहूर्त 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक।
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर रात के समय चंद्रमा की चांदनी में खीर या दूध रखने से वह अमृत के समान हो जाता है। यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और निरोगी काया प्राप्त होती है। इस तिथि पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है, जिससे धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
- इस दिन पवित्र नदी या फिर घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- साफ वस्त्र धारण करें।
- व्रत व पूजा का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करें।
- उन्हें सुंदर वस्त्र, फल, फूल, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- गाय के दूध से खीर बनाकर भोग तैयार करें।
- इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य जरूर दें।
- अर्घ्य में दूध, चावल और सफेद फूल मिलाएं।
- अगले दिन सूर्योदय से पहले उस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- पूर्णिमा के दिन अन्न, वस्त्र, चावल, दूध, मिठाई और दक्षिणा का दान जरूर करें।
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खीर का विशेष महत्व
इस दिन खीर बनाकर उसे मिट्टी के पात्र में रातभर चांद की रोशनी में यानी खुले आसमान में रखें। अगले दिन इसका सेवन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह उपाय अच्छे स्वास्थ्य और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने में सहायक माना गया है।
चंद्रमा को अर्घ्य दें
शरद पूर्णिमा की रात एक लोटे में स्वच्छ जल भरें, उसमें थोड़े चावल और फूल डालकर चंद्रमा की ओर मुख करके अर्घ्य दें। मान्यता है कि ऐसा करने से चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में शांति व समृद्धि बनी रहती है।
