सुशीला कार्की बनी नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री,रात 8.45 बजे होगा शपथ ग्रहण

  • राष्ट्रपति रामचन्द्र पौड़ेल दिलाएंगे पद और गोपनीयता की शपथ
  • नेपाल में सत्ता परिवर्तन भारत के लिए राहत

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बन गईं वाली हैं। वह केपी शर्मा ओली की जगह लेंगी।  कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी। सुशीला का भारत से खास कनेक्शन रहा है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। भारत में बिताए दिनों को सुशीला आज भी याद करती हैं। उन्होंने पीएम मोदी और हिंदुस्तान को लेकर जो बयान दिया है उससे साफ संकेत मिलता है कि दोनों देशों के रिश्ते सुधरने वाले हैं। पड़ोसी देश नेपाल में सत्ता बदल चुकी है। युवाओं के विरोध प्रदर्शन के आगे केपी शर्मा ओली को झुकना पड़ा। कमान अब सुशीला कार्की को सौंपी जानी है। वह अंतरिम प्रधानमंत्री बन गईं हैं। आज रात 8.45 बजे राष्ट्रपति रामचन्द्र पौड़े उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। बता दें कि सुशीला कार्की नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। 73 वर्षीय सुशीला कार्की का सत्ता में आना भारत के लिए शुभसंकेत है, क्योंकि उन्होंने बुधवार को जो बयान दिया है उसमें बहुत कुछ छिपा है।

कार्की की भारत को लेकर क्या सोच है उसे जानने से पहले उनके बारे में जान लेते हैं। सुशीला कार्की पिछले कई वर्षों से नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शन का चेहरा रही हैं। 11 जुलाई, 2016 को वह नेपाल सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बनीं। उन्होंने न्यायिक स्वतंत्रता का पालन करते हुए नेपाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ कई फैसले लिए थे। अपने इन कदमों की वजह से वह नेपाल के Gen Z के बीच लोकप्रिय बनीं। सुशीला कार्की का भारत से भी नजदीकी जुड़ाव रहा है। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन यहीं से किया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट किया। किसी भी दो देशों के बीच का संबंध सत्ता पर काबिज नेताओं की सोच से तय होता है। इतिहास इस बात का साक्षी रहा है। ताजा उदाहरण बांग्लादेश का ही है। शेख हसीना वहां की पीएम थीं तो भारत और बांग्लादेश के संबंध मजबूत थे, लेकिन यूनुस के आने के बाद इसमें गिरावट आ गई। हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए। हालांकि नेपाल की स्थिति इसके विपरीत हो सकता है।

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ओली भारत विरोधी थे। भारत और नेपाल के संबंध बिगाड़ने के लिए उन्होंने वो सारे कार्य किए। लेकिन अब हालात बदलेंगे। कार्की का बैकग्राउंड और उनका हालिया बयान तो इसी ओर इशारा करता है। सुशीला कार्की को भारत में बिताए दिन आज भी याद हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि मुझे आज भी BHU के शिक्षक याद हैं। वहां के दोस्त याद हैं। गंगा नदी याद है। BHU के दिनों को याद करते हुए सुशीला ने कहा कि गंगा के किनारे एक हॉस्टल हुआ करता था। गर्मी की रातों में हम छत पर सोया करते थे। सुशीला कार्की भारत और नेपाल के संबंधों को लेकर सकारात्मक हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन करती हूं। पीएम मोदी के बारे में मेरी अच्छी राय है। उन्होंने आगे कहा, हम कई दिनों से भारत के संपर्क में नहीं हैं। हम इस बारे में बात करेंगे। जब कोई अंतर्राष्ट्रीय मामला होता है, दो देशों के बीच का होता है, तो कुछ लोग मिलकर बैठकर नीति बनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दो देशों की सरकार के बीच संबंध एक अलग मामला है। नेपाल के लोगों और भारत के लोगों के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। यह बहुत अच्छा रिश्ता है। हमारे कई रिश्तेदार, हमारे कई परिचित… हमारे बीच बहुत सद्भावना और प्रेम है। उन्होंने कहा कि वह भारतीय नेताओं से बहुत प्रभावित हैं। हम उन्हें अपना भाई-बहन मानते हैं।

सुशीला खुद को भारत का करीब मानती हैं। उन्होंने कहा कि मैं भारत की सीमा के पास विराटनगर की रहने वाली हूं। मेरे घर से भारत शायद सिर्फ 25 मील दूर है। उन्होंने बताया कि वह नियमित रूप से सीमा पर स्थित बाजार जाती हैं। सुशीला के इन बयानों से साफ है कि नेपाल की सत्ता में उनका आना भारत के लिए अच्छा संकेत है।काठमांडू में जो भी हो रहा है उसपर भारत नजर बनाया हुआ है। नेपाल हिंदुस्तान से 1750 किमी बॉर्डर साझा करता है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम से उसकी सीमा लगती है। खुद पीएम मोदी ने नेपाल के हालात को लेकर एक्स पर पोस्ट किया था। उन्होंने कहा कि नेपाल में हिंसा हृदयविदारक है। मुझे इस बात का दुख है कि कई युवाओं की जान चली गई है। उन्होंने मंगलवार को कैबिनेट के मंत्रियों के साथ सेक्योरिटी मीटिंग भी की थी। नेपाल में अशांति का प्रभाव भारत में बसे नेपाली समुदाय पर भी पड़ रहा है। करीब 35 लाख नेपाली भारत में काम करते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। नेपाल हिंदू बहुल देश है। दोनों देशों के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। लोग बिना वीजा या पासपोर्ट के दोनों देशों के बीच यात्रा करते हैं। नेपाली 1950 की संधि के तहत बिना किसी प्रतिबंध के भारत में भी काम कर सकते हैं। इस क्षेत्र में भूटान के साथ भारत ऐसा एकमात्र देश है जिसके पास यह व्यवस्था है। इसके अलावा नेपाल के 32,000 गोरखा सैनिक दशकों पुराने एक विशेष समझौते के तहत भारतीय सेना में सेवारत हैं और सम्मान पूर्वक जिंदगी जी रहे हैं।

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जानकार कहते हैं कि केपी शर्मा ओली का झुकाव चीन की ओर था। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत से संबंध बिगाड़े। दोनों देशों के रिश्तों में दूरी लाई। जाते-जाते भी उन्होंने भारत पर आरोप लगाया। लिपुलेख, भगवान राम को लेकर उनका रुख जगजाहिर है। बुधवार को जो उन्होंने बयान दिया उसमें भी उसका जिक्र किया। ओली ने भारत विरोधी बयानबाजी की और कहा कि उन्होंने सत्ता इसलिए खो दी क्योंकि उन्होंने अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का विरोध किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्होंने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा का मुद्दा नहीं उठाया होता तो वे सत्ता में बने रहते। ओली और उनकी पार्टी इन जगहों को भारत के साथ विवादित क्षेत्र बताती है। पूर्व नेपाली पीएम ने कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल के हैं। मैंने यह भी कहा कि भगवान राम का जन्म भारत में नहीं नेपाल में हुआ था। अगर मैंने इन बातों पर समझौता कर लिया होता तो मैं कई आसान रास्ते चुन सकता था और कई लाभ प्राप्त कर सकता था। अगर मैंने दूसरों को अपने लिए निर्णय लेने दिया होता तो मेरा जीवन बहुत अलग होता, लेकिन इसके बजाय मैंने अपना सब कुछ नेपाल को दे दिया। मेरे लिए पद और प्रतिष्ठा कभी मायने नहीं रखती थी।

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