- सालों से अवैध पटाखा फैक्ट्रियां चलती रही और बेखबर रही स्थानीय पुलिस
- इससे पहले भी कई बार पुलिस और संबंधित विभाग की लापरवाही सामने आई,
- फिर भी आंख मूंदे बैठे रहे जिम्मेदार आलाधिकारी
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की नीयत एक बार फिर शक के दायरे में है। वजह कि गुडंबा क्षेत्र के कुर्सी रोड पर स्थित बेहटा कस्बे में हुए पटाखा विस्फोट कांड को लेकर चल रही जांच पड़ताल में यह बात सामने आई है कि यह पटाखा फैक्ट्री सालों से बिना लाइसेंस के चल रही थी, बावजूद इसके संबंधित विभाग और स्थानीय पुलिस बेखबर रही। इसकी भनक तो उस समय लगी जब रविवार यानी 31 अगस्त 2025 आतिशबाज आलम के मकान में चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ। तब जिम्मेदार आलाधिकारियों की नींद टूटी और कहने लगे कि अरे यह तो अवैध तरीके से फैक्ट्री चल रही थी।
सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर किसकी सह पर चल रहा था यह गोरखधंधाॽ किसकी जेब मोटी रकम देकर भरी जा रही थी यह सवाल फिलहाल हर किसी को बेचैन कर रहा है। अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के दौरान अवैध फैक्ट्री चलाने वाले 50 वर्षीय मालिक आलम और उनकी 48 वर्षीय पत्नी मुन्नी मौत तथा आलम का 22 वर्षीय बेटा इरशाद और 24 वर्षीय पड़ोसी नदीम बुरी तरह से जख्मी हो गए। मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों ने जिम्मेदार स्टेशन अफसर का बचाव करते हुए चौकी प्रभारी बेहटा संतोष पटेल व बीट सिपाही धर्मेश चाहर को लापरवाही बरतने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
अब पुलिस ने पटाखा फैक्ट्री मालिक आलम सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया तो मानो क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया कि अरे जिंदा रहने पर पुलिस कभी नहीं सोची और मुर्दा होते ही स्थानीय पुलिस हरकत में आ गई और ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। अहम सवाल है कि काश पुलिस पहले चेती होती तो शायद यह घटना टल सकती थी, लेकिन चंद रूपयों के खातिर कौन बिक जाए कहा नहीं जा सकता ॽ
