
दयानंद पांडेय
आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान का जो आपरेशन हुआ है , सो तो हुआ ही है लेकिन लगता है पाकिस्तान से ज़्यादा बड़ा आपरेशन अमरीका का हो गया है। अमरीका के अहम को ज़बरदस्त चोट लगी है। घाव बहुत गहरा है l तभी ट्रंप ने आज एपिल के मालिक से स्पष्ट कह दिया है कि एपिल को अब भारत में नहीं , अमरीका में ही बनाएं। सीज फायर में ट्रंप की चौधराहट की पैंट, भारत ने उतारी ही थी कि वह कश्मीर में भी चौधरी बनने की अकुलाहट में अफ़नाने लगे। अब आज एपिल पर आ गए। एफ़ 16 के मारे जाने के विवरण में हम अभी नहीं जा रहे। गो कि ट्रंप अब पलट गए हैं। कह रहे हैं कि सीज फायर में मैं न मध्यस्थता नहीं की।
असल में परमाणु बम बनाना उतना कठिन नहीं है, जितना उसे संभाल कर रखना। वह भी गधों के कारोबारी देश पाकिस्तान में। अमरीका पर लात बहुत तेज़ पड़ी है। पाकिस्तान को आई एम एफ लोन इसी लात का परिणाम था, अब समझ आ रहा है। अभी और भी बहुत कुछ समझ आने वाला है। इस लिए भी कि रायटर के थ्रू , डेली टेलीग्राफ के थ्रू राफेल के मार गिराए जाने का जेबलिंग थ्रो काम नहीं आ पाया है। रायटर में यह राफ़ेल ख़बर ब्रेक करने वाले दो पत्रकार नौकरी से निकाल दिए गए हैं। क्योंकि ख़बर फर्जी थी ही , इन पत्रकारों पर ISI के लिए काम करने की तोहमत भी लगी है।
सवाल यह भी है कि पाकिस्तान की किराना पहाड़ी ख़ाली करने की ख़बर पाकिस्तानी दिखा रहे हैं तो राफेल गिराने की ख़बर भी क्यों नहीं दिखा रहे ? अगर भारत की धरती पर भी गिरे राफेल तो सैटेलाइट फ़ोटो भी खींच कर दिखा सकते हैं। पाकिस्तान नहीं, न सही , चीन और अमरीका ही , सेटेलाइट फ़ोटो खींच लिए होते। दिखा देते। पर वह कहते हैं न कि झूठ के पांव नहीं होते। पाकिस्तान के पास भी पांव नहीं हैं। भारत में पाकिस्तान के पैरोकारों के पास तो पांव ही नहीं, आँख भी मयस्सर नहीं है। कौवे के पीछे दौड़ते हुए हांफ रहे हैं। लेकिन कान नहीं मिल रहा। गिरा हुआ राफेल कैसे मिलेगा भला!