मनमोहन सिंह का असली चेहरा!

के. विक्रम राव
     के. विक्रम राव

निधन के बाद सरदार मनमोहन सिंह ने जाना होगा कि वे इतने ज्यादा गुण संपन्न थे। अतिरंजना से ही सही। पर चहेतों ने उन्हें अभिमंडित तो कर ही दिया। बस एक दस्तावेजी प्रमाण देखें। लोकसभा में चर्चा हो रही थी। पीवी नरसिम्हा राव के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह राष्ट्र की आर्थिक स्थिति का भयावह खाका पेश कर रहे थे। तभी सदन में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर खड़े हो गए। पूछा : “मनमोहन जी, आप तो मेरे भी वित्त सलाहकार थे। पर तब इतनी चिंताजनक बातें तब नहीं बताईं ?” सरदार जी चुप्पी साध गए। मनमोहन सिंह का व्यवहार उनके नामक का सार्थक रहा। अपने आकाओं को वे वैसा ही बताते जैसा उन्हें कर्णप्रिय-मनभावन लगता था। वर्ना घोर आपसी शत्रु पीवी नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी दोनों के प्रिय वे कैसे बने रहते ? “गाड़ी बंगले” से उनके अतिलगाव का एक उदाहरण पेश है। चंद्रशेखर के पदत्याग के तुरंत बाद मनमोहन सिंह इस निवर्तमान प्रधानमंत्री से मिले कि उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का अध्यक्ष नामित कर दें। चंद्रशेखर अचरज में पड़ गए। बोले : “पदत्याग कर दिया है अब आदेश पत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता।

सरदार जी दुखी आवाज में बोले : “बीते कल की तारीख ही डाल दीजिए।” चंद्रशेखर ने कर दिया। मनमोहन सिंह चुपचाप प्रधानमंत्री कार्यालय का वेश्यकरण निहारते रहे जब 10 जनपथ (सोनिया आवास), राजीव भवन (राष्ट्रीय सलाहकार परिषद) और भिन्न गैर-संवैधानिक केन्द्रों के लोग हुकुम चलाते रहे। नतीजे में कोयला लाइसेंस, टेलीफोन घोटाला आदि खूब होते रहे। दिल्ली के कांग्रेस-चहेते पत्रकार (बरखा दत्त आदि) ने खूब रेवड़ियां काटी। इंतिहा तो मनमोहन सिंह ने तब कर दी जब उनके पूर्व मालिक नरसिम्हा राव का शव 24 अकबर रोड के पार्टी ऑफिस की फुटपाथ पर घंटों पड़ा रहा। सोनिया के आदेश पर फाटक बंद था। मनमोहन सिंह ने अपने पूर्व आका का अपमान सह लिया। पूर्व प्रधानमंत्री के शव को बाद में मिट्टी के तेल से हैदराबाद में जलाया गया। शिष्य मनमोहन सिंह मौन रह गए। सोनिया के शत्रु थे नरसिम्हा राव। आखिर अर्जुन सिंह और प्रणव मुखर्जी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन पाए ? वे योग्य और मजबूत थे। मनमोहन सिंह जैसे “जी हुजूरिया” नहीं। तब की सत्यता क्या थी ? नरसिम्हा राव ने डॉ. आई. जी. पटेल, उस समय के योग्यतम वित्त निष्णात, को काबीना में लेना चाहते थे। डॉ. पटेल ने अस्वीकार कर दिया। सरदार जी की लॉटरी खुल गई।

कितना आत्म सम्मान था इस संयोग से नामित पीएम का ? याद करें खुला नजारा लोकसभा का ! अपराधी सांसद की सदस्यता निरस्त करनेवाला विधेयक काबीना ने पारित किया था। सदन के पटल पर खुले आम राहुल गांधी ने उसे फाड़ डाला। टुकड़े उड़ा दिए। पीएम अपनी पगड़ी झुकाए रहे। बड़ी तारीफ हुई की बेटी ने उनको मुखाग्नि दी। नई परंपरा शुरू की ? मनमोहन सिंह की केवल तीन पुत्रियां थीं। कोई पुत्र नहीं था। तब तक मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री नहीं बने थे। वे प्रमुख पार्टी नेता मात्र थे। लखनऊ से “नेशनल हेरल्ड” का प्रतिनिधि मंडल लेकर IFWJ अध्यक्ष के नाते मैं सोनिया गांधी से मिलने जनपथ गया। सोनिया गांधी ने सरदार मनमोहन सिंह को संयोजक “हेरल्ड समाधान समिति” बनाया। सरदार जी ने मगर एक भी बैठक नहीं बुलायी। हेरल्ड नीलामी पर चढ़ गया। कई कर्मचारी क्षुधा से मर गए। मनमोहन सिंह के नाम का जप करते। तो ऐसे थे भारत के दस साल रहे सबसे अक्षम, कठपुतली पीएम।

Analysis homeslider Raj Dharm UP

यूपी भाजपा अध्यक्ष को लेकर मंडी गरम!

मनोज श्रीवास्तव लखनऊ। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर मंडी गरम हो गयी है। दिल्ली-लखनऊ का दांव-पेंच सतह पर आ गया है। दो दिन पूर्व यूपी के 14 जिला/महानगर इकाइयों के गठन में दागियों की छुट्टी और 5 पुराने समेत 9 नये चेहरों पर सेहरा बांधा गया है। सबसे विवादित और यूपी भाजपा का मार्केटिंग […]

Read More
Analysis homeslider

यशपाल: साहित्य को क्रांति का हथियार बनाने वाले लेखक

वरुण कुमार यशपाल का नाम केवल एक कथाकार के रूप में नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी विचारक और समाज-परिवर्तन के प्रबल पक्षधर के रूप में अंकित है। उनके लिए साहित्य कोई आत्ममुग्ध कलात्मक अभ्यास नहीं था, बल्कि अपने विचारों को व्यापक जन-समुदाय तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम था। यह दृष्टिकोण उन्हें अपने समकालीनों से अलग और […]

Read More
Analysis homeslider National

देश में धर्मांतरण पर पूर्ण रोक क्यों जरूरी हो रही है?

देश में धर्म परिवर्तन को लेकर एक गंभीर बहस तेज हो रही है, जहां कई लोग पूर्ण रोक लगाने की मांग कर रहे हैं ताकि लालच, धोखे या जबरदस्ती से होने वाले बदलाव रुक सकें। 1950 से 2015 तक हिंदू आबादी में 7.8 प्रतिशत की कमी आई, जबकि मुस्लिम आबादी 43 प्रतिशत बढ़ी और ईसाई […]

Read More