अमेठी के रण को साधने के लिए दलों का सीक्रेट प्लान, भाजपा ने बदला पैटर्न; कांग्रेस की भी नए सिरे से रणनीति

  • साल 2019 में हुआ था बड़ा उलटफ़ेर, अभी तक पछता रही अमेठी की जनता

नया लुक ब्यूरो

लोकसभा चुनाव में यूं तो हर सीट की अपनी अहमियत होती है, लेकिन सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा प्रदेश है। यहां पर 80 संसदीय सीटें आती हैं। यूपी में बड़ी जीत हासिल करने वाले दल की दिल्ली की सरकार में अहम भूमिका होती है। फैजाबाद मंडल की अमेठी लोकसभा सीट भी देश की राजनीति में अहम स्थान रखती है। यह सीट गांधी परिवार की सुरक्षित मानी जाती रही है। यहां से संजय गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन 2019 के पिछले चुनाव में यहां पर संसदीय चुनाव में सबसे बड़ा उलटफ़ेर देखा गया था, क्योंकि BJP की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को कड़े मुकाबले में हरा दिया था। लेकिन आप अमेठी की जमीन पर परिस्थितियों तलाशें तो तमाम लोग ऐसे मिलेंगे जो स्मृति इरानी को सांसद बनाकर पछता रहे हैं।

अमेठी जिला उत्तेर प्रदेश के फैजाबाद मंडल के तहत पड़ता है। अमेठी को उत्तर प्रदेश का 72वां जिला होने का गौरव हासिल है। इसे एक जुलाई 2०1० में सुल्तानपुर जिले की तहसील अमेठी, गौरीगंज, मुसाफिर खाना और रायबरेली की तहसील तिलोई और सलोन को मिलाकर बनाया गया था। एक समय इस क्षेत्र का नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर हुआ करता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर अमेठी कर दिया गया। तिलोई, सालोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी यहां की पांच विधानसभा सीटें हैं।

साल 2019 के चुनाव में किसे मिली थी जीत

2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को तीन सीटों पर जीत मिली थी तो दो सीटों पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली। कांग्रेस को अपने गढ़ में एक भी सीट नहीं मिली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस यहां से खाता नहीं खोल सकी थी। पांच में से सालोन और जगदीशपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी संसदीय सीट के चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो यहां पर मुकाबला कांटे का रहा था और पूरे देश की नजर यहां के चुनाव पर टिकी थी। अमेठी संसदीय सीट पर 27 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी की स्मृति ईरानी और कांग्रेस के राहुल गांधी के बीच था। 27 में से 14 उम्मीदवार को निर्दलीय प्रत्याशी थे। खास बात यह रही कि रायबरेली सीट की तरह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन ने अपनी ओर से उम्मीदवार नहीं उतारा था। चुनाव बेहद कांटे का रहा था, कभी राहुल तो कभी स्मृति ईरानी मतगणना के दौरान बढ़त बनाती दिख रही थीं, लेकिन जीत बीजेपी उम्मीदवार के हाथ लगी। चुनाव में स्मृति ईरानी को 468,514 वोट मिले तो राहुल गांधी के खाते में 413,394 वोट आए। कुल पड़े वोटों में 94 फीसदी वोट अकेले इन्हीं दोनों नेताओं को मिले थे। तीसरे नंबर पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार ध्रुव लाल को महज 7,816 वोट मिले थे. स्मृति ईरानी ने यह चुनाव 55,120 मतों के अंतर से जीत लिया।

अमेठी का संसदीय इतिहास

अमेठी सीट पर तब के चुनाव में कुल वोटर्स की संख्या 17,03,510 थी, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 9,07,262 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 7,96,114 थी, यहां पर 55 फीसदी से थोड़ा अधिक मतदान हुआ। यहां पर कुल 9,42,453 वोट पड़े। चुनाव में नोटा के पक्ष में 3,94० (0.2%) वोट डाले गए थे। कभी गांधी परिवार के गढ़ कहे जाने वाली अमेठी संसदीय सीट पर 2019 के चुनाव में BJP ने दूसरी बार सेंध मार लिया था। इस बार यह सेंध बहुत गहरी थी क्योंकि राहुल गांधी जैसे बड़े नेता को हार का सामना करना पड़ा था। अमेठी सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी। इसके पहले यह क्षेत्र सुल्तानपुर दक्षिणी संसदीय सीट का हिस्सा हुआ करता था। साल 1967 के चुनाव में अमेठी सीट पर विद्याधर वाजपेई कांग्रेस के टिकट पर पहले सांसद चुने गए। विद्याधर 1971 में भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

गांधी परिवार की ‘पॉलिटिकल डेब्यू’ सीट

इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने अमेठी सीट से चुनाव लड़ते हुए ‘पॉलिटिकल डेब्यू’ की, लेकिन तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, यहां से जनता पार्टी को जीत मिली। हालांकि 198० में अमेठी में हुए लोकसभा चुनाव में संजय गांधी ने जीत का स्वाद चखा। लेकिन कुछ समय बाद एक हादसे में अचानक हुई मौत के बाद संजय के भाई राजीव गांधी ने भी यहां से ‘पॉलिटिकल डेब्यू’ की और जीत के साथ संसद पहुंचे। अमेठी में साल 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी ने शरद यादव को हराया था।

अमेठी सीट पर 1984 का चुनाव बेहद दिलचस्प रहा था क्योंकि पहली बार यहां पर गांधी परिवार आमने-सामने था। कांग्रेस के टिकट पर राजीव के सामने भाई संजय गांधी की पत्नी बतौर निर्दलीय मेनका गांधी मैदान में थीं। लेकिन चुनाव में राजीव गांधी को तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत मिली थी। पांच साल बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के सामने महात्मा गांधी के पौत्र राज मोहन गांधी मैदान में उतरे थे। एक बार फिर जीत राजीव के खाते में गई। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने भी किस्मत आजमाई थी, लेकिन तब उनकी जमानत ही जब्त हो गई थी।

सोनिया के बाद राहुल ने यहीं से लड़ा पहला चुनाव

साल 1991 के चुनाव में राजीव फिर अमेठी से चुनाव जीत गए। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान एक आतंकी हमले के जरिए तमिलनाडु में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई। जिससे यहां पर उपचुनाव कराना पड़ा और राजीव के दोस्त कैप्टन शर्मा कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे और विजयी हुए। साल 1996 के चुनाव में भी कैप्टन शर्मा विजयी रहे। लेकिन 1998 के चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई। बीजेपी के टिकट पर संजय सिह ने कैप्टन शर्मा को हरा दिया। कांग्रेस की अमेठी सीट से यह दूसरी हार रही थी।
दो चुनावों के गैप के बाद अमेठी से गांधी परिवार की वापसी हुई और सोनिया गांधी ने 1999 के चुनाव में यहां से अपना ‘पॉलिटिकल डेब्यू’ किया। संजय, राजीव के बाद सोनिया ने भी यहीं से अपना ‘पॉलिटिकल डेब्यू’ किया था। सोनिया ने चुनाव 1999 के चुनाव में बीजेपी के संजय सिह को हरा दिया। सोनिया को तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत मिली थी। हालांकि उन्होंने बाद में यह सीट छोड़ दी और अगले चुनाव (2004) में रायबरेली संसदीय सीट से चुनाव लड़ने लगीं।

गांधी परिवार से राहुल गांधी के रूप में पांचवीं शख्सियत ने अपना ‘पॉलिटिकल डेब्यू’ किया। साल 2004 के आम चुनाव में राहुल ने अपने पहले चुनाव में जीत हासिल की। 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 71 फीसदी से अधिक वोट मिले और लगातार दूसरी जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा. मुकाबले से पहले लगातार चर्चा का माहौल रहा. साल 2014 के चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय दिखा क्योंकि राहुल के सामने स्मृति इरानी और आम आदमी पार्टी की ओर से कुमार विश्वास मैदान में थे. राहुल को यहां पर 408,651 वोट मिले तो स्मृति के खाते में 300,748 वोट आए थे। कुमार विश्वास चौथे स्थान पर रहे और उनके खाते में 25,527 वोट गए। राहुल यह चुनाव 1,07,903 वोटों के अंतर से जीत गए। राहुल ने अमेठी से चुनावी जीत की हैट्रिक लगाई। लेकिन 2019 में राहुल अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा सके और बीजेपी की स्मृति ईरानी ने चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया। वजह यह रही कि स्मृति ने लगातार अमेठी में प्रचार किया था जिसका फायदा उन्हें मिला। हालांकि स्मृति को जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और महज 55,12० मतों के अंतर से ही चुनाव जीत पाईं।

अमेठी सीट का समीकरण

लगातार कोशिश के बाद 2०19 के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस से यह सीट छीन ही लिया. पिछले 2 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को यहां पर खाता तक नहीं खुला. जबकि 5 विधानसभा सीटों वाले संसदीय सीट के तहत 2०12 के चुनाव में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था. 2०17 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अमेठी में शानदार प्रदर्शन किया और महज एक सीट (गौरीगंज) को छोड़कर शेष चारों सीटों पर कब्जा जमा लिया। 2०22 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के खाते में 3 सीट गई तो सपा के पास 2 सीटें आईं.
अमेठी संसदीय सीट पर जातिगत समीकरण का कोई खास असर नहीं दिखता है। 2०19 के चुनाव से पहले यहां पर कांग्रेस के गांधी परिवार का ही दबदबा रहा करता था. लेकिन अब बीजेपी की पकड़ हो गई है. दावा किया जा रहा है कि यहां से राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ना चाह रहे हैं। फिलहाल तब के चुनाव में यहां पर सबसे अधिक वोटर्स अनुसूचित जाति के लोग थे। यहां पर दलित वोटर्स की संख्या करीब 26 फीसदी रही है, जबकि 18 फीसदी ब्राह्मण वोटर्स हैं। 11 फीसदी क्षत्रिय और 10 फीसदी लोध तथा कुर्मी वोटर्स हैं। यादवों और मौर्य वोटर्स की संख्या भी अहम है। मुस्लिम वोटर्स की संख्या भी कम नहीं है और यहां पर इनकी संख्या करीब 2० फीसदी है।

क्या है नई रणनीति

अमेठी के सियासी रण में भाजपा की स्मृति जूबिन इरानी के समक्ष अब किशोरी लाल शर्मा के कांग्रेस प्रत्याशी बनने के बाद भाजपा व कांग्र्रेस दोनों ने अलग-अलग प्लान तैयार किया है। अभी तक भाजपा हर मोर्चे पर राहुल गांधी को निशाने पर ले रही थी, अब उसने पैटर्न बदलकर घर-घर दस्तक देने की योजना बनाई है। कांग्रेस ने भी नये सिरे से रणनीति तैयार की है। इसके लिए दिल्ली से अलग प्लानिग की रूपरेखा तैयार की गई है। इसी बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली पहुंच गई है। चुनावी समर को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा की पूरी टीम लगी हुई है। पार्टी सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने के साथ ही हरेक मतदाता पर नजर रख रही है। इसके लिए पन्ना प्रमुखों को लगाया गया है। हरेक पन्ना प्रमुख को मतदाताओं की एक संख्या दी गई है, उसी पर पन्ना प्रमुख को फोकस करना है। उन मतदाताओं का मूड क्या है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को भी खोजना है, जो किसी कारण से दूसरे दल में है लेकिन, वहां से नाराज है। महिला संगठनों की टीम को अलग से लगाया गया है। महिलाएं घर-घर जाकर बहू से लेकर सास तक से संवाद कर रही है। युवाओं के लिए अलग से भाजयुमो की टीम काम कर रही है।

वहीं, सोशल मीडिया टीम संयोजक अंशू तिवारी के निर्देशन में लगी हुई है। सोशल मीडिया के हरेक पोस्ट पर नजर है। निगेटिव से लेकर पॉजिटिव तक पर नजर रखी जा रही है। मीडिया प्रभारी चंद्र मौलि सिह कहते हैं कि पार्टी कार्यकताã काम कर रहे हैं। कांग्रेस ने अब अपनी पूरी रणनीति बदल दी है। सोमवार की शाम को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी दिल्ली से विशेष विमान से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी फुरसतगंज पहुंची। यहां पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इसके बाद वह रायबरेली के लिए निकल गई। अब राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यहां का पर्यवेक्षक बनाया गया है। वह जल्द ही यहां पर पहुंचेंगे। इसके अतिरिक्त कांग्रेस के नेताओं के साथ ही सपा मुखिया अखिलेश यादव की सभा करने की तैयारी में कांग्रेसी है। इसके अतिरिक्त पुराने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संपर्क करने के साथ ही नेताओं के भ्रमण का रूट तय किया जा रहा है। कांग्रेस नेता अशोक सिह हिटलर कहते हैं कि जिस तरह की रणनीति वर्ष 1999 में सोनिया गांधी के लिए बनाई गई थी, ठीक उसी तरह की योजना इस बार है। कई स्तर पर निगरानी की जा रही है। मीडिया समन्वयक डॉ. अरविद चतुर्वेदी कहते हैं कि तैयारी पूरी है। रायबरेली में प्रियंका गांधी वाड्रा के समक्ष जल्द ही कार्ययोजना रखी जाएगी।
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मैं गांधी परिवार की नौकरी नहीं कर रहा, अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार केएल शर्मा ने क्यों कहा- मैं नेता हूं

अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पहले तय नहीं था कि यहां से कौन लड़ेगा ये फैसला शीर्ष नेतृत्व का था। मैं यहां गांधी परिवार की नौकरी नहीं कर रहा हूं, मैं नेता हूं। मैं कांग्रेस से कोई तनख्वाह नहीं लेता हूं। मैं शुद्ध रूप से नेता हूं। मैं यूथ कांग्रेस के दौरान 1983 में यहां आया था। जब यहां आया था इनसे बहुत बड़ी हैसियत रखता था।
शर्मा ने कहा कि जिसको जैसे संस्कार मिलते हैं उसको वे वैसे ही प्रदर्शित करता है। वहीं, जब उनसे ये पूछा गया कि राहुल गांधी पहले अमेठी से वायनाड गए फिर रायबरेली आ गए, इस पर क्या कहेंगे? इस सवाल के जवाब में किशोरी लाल शर्मा ने कहा, पहले यहां के बारे में किसी को नहीं पता था कि कौन लड़ेगा। अब स्मृति ईरानी को मैं भी हराऊंगा, बड़ी बात बोल रहा हूं और इनकी कृपा से हराऊंगा। केएल शर्मा से जब ये पूछा गया कि आप बड़ी बात बोल रहे हैं कि आप स्मृति ईरानी को हरा देंगे, इसका मतलब है कि आपने होमवर्क पूरा कर लिया है, इस पर उन्होंने कहा कि देखिए सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि चुनाव आने पर कोई तैयारी नहीं होती है। हमारे जो पीसीसी के कार्यक्रम चले, हमारे जो बीएलए अपॉइंट होने थे, जो कर्मचारी अपॉइंट होने थे, वो गए. अब पूरा काम कैंपेन का है. हम कैंपेन कर रहे हैं. लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. पांच न्याय और 25 गारंटी की बात कर रहे हैं.
अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार शर्मा ने कहा कि मैं बड़ी बात करता हूं, जनता की बात पे बात करता हूं. इंसान को घमंड नहीं करना चाहिए, मैं भी घमंड नहीं कर रहा हूं, वो जिस तरह से बात करते हैं, वो उनका घमंड दिखता है। वो मैं यूज नहीं करता हूं. बता दें कि कांग्रेस ने आखिरी समय में शुक्रवार को अमेठी से केएल शर्मा के नाम का ऐलान किया था। तीन तारीख नामांकन की आखिरी तारीख थी। इसी दिन शर्मा ने अपना नामांकर दाखिल किया। वहीं, कांग्रेस ने अमेठी से केएल शर्मा तो रायबरेली से राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा।

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