- गंगा से कम पापों का नाश नहीं करती यमुना मैया, जानें पौराणिक महत्व
- भगवान सूर्य की पुत्री हैं यमुना, जिन्हें कहा जाता है भगवान कृष्ण की पटरानी
राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
यमुना जयंती का व्रत एवं पूजन करने से पापों का नाश का नाश होता है। चैत्र मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी को यमुना जयंती के नाम से जाना जाता है। इसे यमुना छठ भी कहा जाता है। इसदिन यमुना जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना जी (प्राकट्य रूप में) भगवान सूर्य की पुत्री है। मृत्यु के देवता यमराज इनके बडे भाई और शनिदेव यमुना जी के छोटे भाई है। यमुना भगवान श्री कृष्ण की पटरानी थी। ब्रज क्षेत्र में यमुना को माता के समान माना जाता है। इसलिये इन्हे यमुना मैया कह के पुकारा जाता है। यमुना अपने भक्तों के पापों का नाश करके उन्हे निर्मल बना देती है।
यमुना जयंती की तिथिः इस वर्ष यमुना जयंती 14 अप्रैल, 2024 रविवार के दिन मनायी जायेगी।
यमुना जी का पौराणिक महत्व
यमुना नदी को यमुना देवी के रूप में पूजा जाता है। नदी के रूप में इसका उद्गम हिमालय का कालिंद पर्वत है। इसलिये यमुना को कालिंदी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब यमुना भगवान सूर्य की पुत्री है और यमराज एवं शनिदेव की बहन है। हिंदु धर्म में यमुना पूजन, यमुना स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। ब्रजक्षेत्र में स्थानीय भाषा में कहा जाता है –
यमुना यमदूतन टारत है, भव टारत है श्री राधिका रानी।
इसका अर्थ है यमुना की उपासना से मृत्यु के उपरांत यमदूतों का भय नही होता और श्रीराधा जी की भक्ति करने से जातक भव सागर को पार करके मोक्ष को प्राप्त करता है। धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार यम द्वितिया अर्थात भाई दूज (कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितिया) के दिन यमुना स्नान करने से मनुष्य को मृत्यु के समय यमदूतों का भय नही रहता। इससे यमुना जी का महात्म्य पता चलता है। यमुना जी के प्राकट्य के विषय में यह कथा है कि जब श्री कृष्ण ने गोलोक में श्रीराधा जी से भूलोक पर अवतार लेने के लिये कहा तो उन्होने धरती पर यमुना के ना होने से सुख की अनुभूति ना होने की बात कही। तब श्रीकृष्ण ने यमुना जी को धरती पर अवतरित होने के लिये कहा।
ऐसा माना जाता है कि यमुना जयंती के दिन प्रातःकाल यमुना स्नान करने से महान पुण्य मिलता है। जो लोग यमुना स्नान नही कर सकते वो पानी में काले तिल मिलाएं और “श्री कृष्ण शरणम ममः” मंत्र का जाप करते करते स्नान करें। ऐसा करने से जातक को भगवान श्री कृष्ण की शरण प्राप्त होती है। यमुना जी की अर्चना करने से साधक को भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यमुना जी भगवान श्री कृष्ण की पटरानी है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब प्रजापति दक्ष के द्वारा आयोजित यज्ञ में माता सती ने भगवान शिव की उपेक्षा और अपमान होते हुये देखा तो वो बहुत दुखी हुई और उन्होने यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपनी देह त्याग दी। इस दुख से दुखित होकर भगवान शिव यमुना जल में कूद गये थे। इस कारण से यमुना जी का जल कृष्णवर्णा हो गया।
यमुना जयंती पर क्या करें
यमुना जयंती के दिन यमुना स्नान व यमुना आरती करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्रज क्षेत्र में यमुना मैया की बहुत मान्यता है, यमुना जयंती पर यमुना पूजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यमुना जयंती के दिन प्रात:काल जल में काले तिल डालकर स्नान करें। स्नान करते समय “श्री कृष्ण शरणम ममः” मंत्र का जाप करें। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिये। उन्हे भोग लगाना चाहिये और उस प्रसाद को सभी में बाँटना चाहिये। कृष्ण जी के मंदिर जाकर दर्शन करने चाहिये। यमुना छठ पर यमुना नदी में दीपदान करने से जातक की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है। यमुना छठ पर भक्त निर्जल व्रत का पालन करते है और अगले दिन (सप्तमी के दिन) सुबह स्नान के बाद व्रत का पारण करते है। इस व्रत को करने से जातक शुद्ध हो जाता है और उसके सभी पापों का नाश हो जाता है।
(अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो 9116089175 पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।)