उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण की गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट का हाल

  • हैट्रिक की आस में भाजपा, क्या विपक्षी दल दिखा पाएंगे कोई जादू

उत्तर प्रदेश के सबसे अमीर जिला कहे जाने वाला गौतम बुद्ध नगर भी राजनीतिक रूप से बेहद खास माना जाता है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे होने की वजह से गाजियाबाद की तरह गौतम बुद्ध नगर भी बेहद हाई प्रोफाइल क्षेत्र माना जाता है. गौतम बुद्ध नगर को पहले नोएडा ही कहा जाता था, लेकिन आम बोलचाल में आज भी यह नाम प्रचलन में है. गौतम बुद्ध नगर संसदीय सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. बीजेपी ने इस सीट पर महेश शर्मा को उतारा है तो विपक्षी गठबंधन IगकIइ की ओर से महेंद्र नागर मुकाबले में अपनी चुनौती पेश करेंगे.
गौतम बुद्ध नगर के नाम से जिले की स्थापना 9 जून 1997 को बुलंदशहर और गाजियाबाद जिलों के कुछ ग्रामीण तथा अर्द्धशहरी क्षेत्रों को अलग कर की गई थी. अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्र व्यावसायिक उपमहानगर में शामिल हो चुके है. अब दादरी विधानसभा क्षेत्र भी इसी जिले का हिस्सा है.
फिलहाल जिले में नोएडा (पंकज सिह), दादरी (तेजपाल सिह नागर) और जेवर (धीरेंद्र सिह) 3 विधानसभा सीटें आती हैं, तीनों ही सीटों पर बीजेपी को 2०22 के विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी.
साल 2०19 के लोकसभा चुनाव को देखें तो तब चुनाव मैदान में 13 उम्मीदवार मैदान में थे, और यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी के डॉक्टर महेश शर्मा और बहुजन समाज पार्टी के सतवीर के बीच था. सतवीर यहां पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साझा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे. डॉक्टर महेश शर्मा ने चुनाव में 83०,812 वोट हासिल किए जबकि सतवीर 493,89० वोट मिले. महेश शर्मा ने यह चुनाव बेहद आसानी से 336,922 मतों के अंतर से जीत लिया. कांग्रेस के डॉक्टर अरविद कुमार सिह तीसरे स्थान पर रहे थे.
इस चुनाव में गौतम बुद्ध नगर सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 21,०7,718 थी जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 11,62,4०8 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 9,45,1०7 थी. इसमें से कुल 13,92,952 (66.5%) वोटर्स ने वोट डाले थे. गग्Tइ के पक्ष में 8,371 (०.4%) वोट डाले गए थे.
लगातार दो बार से जीत रहे महेश शर्मा
गौतम बुद्ध नगर संसदीय सीट के इतिहास की बात करें तो इसका इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. शुरुआती दौर में यह सीट बुलंदशहर लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन 1962 के चुनाव में इसे नई बनाई गई खुर्ज़ा लोकसभा सीट में शामिल कर लिया गया. 2००8 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई. नई सीट के रूप में अस्तित्व में आने के बाद गौतम बुद्ध नगर में साल 2००9 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वोटिग कराई गई.
इस चुनाव में बीएसपी के सुरेंद्र सिह नागर ने बीजेपी के डॉक्टर महेश शर्मा को 15,9०4 मतों के अंतर से हराया था. समाजवादी पार्टी तब तीसरे स्थान पर रही थी. 2०14 के चुनाव में मोदी लहर का असर उत्तर भारत समेत पूरे देश में दिखाई दिया और गौतम बुद्ध नगर सीट भी बीजेपी की झोली में चली गई. बीजेपी ने डॉक्टर महेश शर्मा को फिर से मैदान में उतारा और उन्होंने सपा के नरेंद्र भाटी को 2,8०,212 मतों के अंतर से हराया था. शानदार जीत का इनाम भी शर्मा को मिला और वो केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए. 2०19 के चुनाव में महेश शर्मा की जीत का आंकड़ा बढ़ गया और 3 लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीते. महेश शर्मा के साथ-साथ बीजेपी की भी नजर इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने पर होगी.
जातिगत समीकरण
गौतम बुद्ध नगर संसदीय सीट पर जातिगत समीकरण काफी अहम माना जाता है. इस संसदीय क्षेत्र के तहत गुर्जर, ठाकुर और दलित के साथ-साथ मुस्लिम और ब्राह्मण वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है. 2०19 के चुनाव के समय तक यहां पर ठाकुर वोटर्स की संख्या 4 लाख से अधिक थी, जबकि ब्राह्मण वोटर्स की भी करीब 4 लाख संख्या हुआ करती थी. इसके बाद मुस्लिम वोटर्स (करीब 3.5 लाख), गुर्जर वोटर्स (करीब 4 लाख) के साथ-साथ दलित वोटर्स की संख्या भी करीब 4 लाख थी.
पौराणिक इतिहास
पौराणिक रूप से इस क्षेत्र का खास महत्व रहा है. जिले के दनकौर क्षेत्र में गुरु द्रोणाचार्य और बिसरख में रावण के पिता विश्वेश्रवा ऋषि का प्राचीन मंदिर स्थित है. यहीं पर आजादी की जंग के दौरान 1919 में ग्रेटर नोएडा स्थित रामपुर जागीर गांव में ही कुछ समय के लिए सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल भूमिगत होकर रहे थे.
बीजेपी का मजबूत गढ़ है गौतमबुद्ध नगर
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीट नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंद्राबाद और खुर्ज़ा आती हैं. सभी पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. यहां नोएडा से रक्षा मंत्री राजनाथ सिह के बेटे पंकज सिह विधायक हैं. गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के डॉ. महेश शर्मा लगातार दो बार से सांसद हैं. बीजेपी ने तीसरी बार भी उन पर भरोसा जातते हुए उन्हें टिकट दिया है.
यह सीट 2००9 में अस्तित्व में आई थी और बहुजन समाज पार्टी के सुरेंद्र सिह नागर यहां से सांसद चुने गए थे. उस समय नागर ने बीजेपी के महेश शर्मा को पराजित किया था. इस बार इस सीट पर त्रिकोणिय मुकाबला देखने को मिलेगा. सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन है. बीएसपी अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है.
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट का इतिहास
1952 में हुए देश के पहले संसदीय चुनाव के वक्त गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट अस्तित्व में नहीं थी। तब यह क्षेत्र बुलंदशहर लोकसभा सीट का हिस्सा था। 1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव के दौरान खुर्ज़ा लोकसभा सीट का गठन किया गया और इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित खुर्ज़ा सीट में शमिल कर दिया गया। उस दौरान इस सीट पर कांग्रेस का मुकाबला जनता पार्टी,जनता दल और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से होता था। 1992 में राम मंदिर का मुद्दा उछलने के बाद बीजेपी यहां न सिर्फ टक्कर में आई, बल्कि 1996 से 2००4 तक इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा रहा। 2००9 में नए परिसीमन के साथ जहां कुछ क्षेत्र अलग हुआ, वहीं यह गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट बनी और इसे सामान्य सीट कर दिया गया।
2००9 में गौतमबुद्ध नगर सीट पर पहला संसदीय चुनाव हुआ था, जिसमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सुरेंद्र सिह नागर को जीत मिली थी। इसके बाद 2०14 और 2०19 में भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा ने जीत का परचम फहराया। अभी तक इस सीट पर सपा की साइकिल नहीं दौड़ पाई है।
साल 2०19 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा ने 83०812 (59.64 फीसदी) वोट पाकर बसपा के सतबीर को 3 लाख से ज्यादा वोटों के भारी अंतर से हराया था। बसपा के खाते में 49389० (35.45 फीसदी) वोट ही आए। वहीं कांग्रेस को 42०77 (3.०2 फीसदी) वोटों से ही संतोष करना पड़ा। 2०14 में यहां 6० फीसदी मतदान ही हुआ था। इसमें भारतीय जनता पार्टी के डॉ. महेश शर्मा ने 599,7०2 (5० फीसदी) मत प्राप्त कर विजय पताका लहराई थी। वहीं समाजवादी पार्टी के नरेंद्र भाटी को कुल 319,49० मत प्राप्त हुए थे। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सतीश कुमार 198,237 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे थे।
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
भाजपा ने दो बार के विजेता डॉ. महेश शर्मा पर तीसरी बार भरोसा जताया है। इंडी गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में है। सपा ने राहुल अवाना को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव की उपविजेता बसपा ने राजेन्द्र सिह सोलंकी पर दांव लगाया है।
गौतमबèुद्ध नगर लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-13 है। इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 26 लाख 2० हजार है। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 14 लाख 21 हजार है, तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 11 लाख 98 हजार 268 है।
इस संसदीय क्षेत्र में गुर्जर, ठाकुर, दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है। यहां सबसे ज्यादा वोटर राजपूत समुदाय से हैं। इस क्षेत्र में राजपूत वोटों की संख्या करीब 4.5 लाख है। जबकि ब्राह्मण वोटर्स की तादाद करीब 4 लाख, मुस्लिम वोटर्स की संख्या 3.5 लाख और गुर्जर वोटर करीब 4 लाख है। इस सीट पर दलित मतदाताओं की संख्या भी 3.5 लाख है। बाकी वोटर अन्य में शामिल हैं।
विधानसभा सीटों का हाल
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र में नोएडा,दादरी,जेवर,सिकंदराबाद और खुर्ज़ा पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। भाजपा का पांचों सीटों पर का कब्जा है। नोएडा से पंकज सिह, दादरी से तेजपाल सिह नागर, जेवर से धीरेन्द्र सिह, सिकंदराबाद से लक्ष्मीराज सिह और खुर्ज़ा सीट से मीनाक्षी सिह विधायक हैं। सिकदराबाद और खुर्ज़ा सुरक्षित विधानसभा सीट बुलन्दशहर जिले में आती हैं।
गौतमबुद्धनगर सीट पर बीजेपी के महेश
शर्मा के सामने 14 उम्मीदवार मैदान में

उत्तर प्रदेश की गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से 34 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया जिनमें से कुल 19 प्रत्याशियों के पर्चे जांच के बाद जिला प्रशासन ने निरस्त कर दिए. अब 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी के डॉ. महेश शर्मा यहां से वर्तमान सांसद हैं.
जिला निर्वाचन अधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए 34 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किए थे. शुक्रवार को सभी नामांकन पत्रों की जांच हुई. नामांकन पत्रों में कमी पाए जाने पर 19 प्रत्याशियों के पर्चे निरस्त कर दिए गए. जांच में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा, समाजवादी पार्टी के डॉ. महेंद्र सिह नागर, बसपा के राजेंद्र सोलंकी, नेशनल पार्टी के किशोर सिह आदि के नामांकन सही पाए गए हैं.
नामांकन पत्र निरस्त होने से नाराज दो प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग से मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की है। दोनों ने जानबूझकर पर्चा निरस्त करने का आरोप लगाया है. आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने गौतमबुद्ध नगर से उनकी पार्टी के प्रत्याशी यतेंद्र शर्मा का पर्चा जानबूझकर खारिज किए जाने का आरोप लगाया है. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी सुनील गौतम ने कहा कि वह अपने साथ दस प्रस्तावकों को लेकर गए थे, जिन्हें निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में प्रवेश नहीं करने दिया गया और उनका पर्चा जानबूझकर निरस्त किया गया है

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