आज़ादी के 75 साल बाद भी बस्तर की आधी आबादी नहीं देख पाई रेल

  • रेल सुविधा के इंतजार में बीत गई तीन पीढ़ियां

हेमंत कश्यप/जगदलपुर। देश की आजादी को 75 वर्ष हो चुके हैं। भारत के अधिकांश आदिवासी क्षेत्र प्राथमिकता के आधार पर सबल भी हो चुके हैं किंतु विश्व प्रसिद्ध बस्तर आधी आबादी बीते 75 वर्षों में रेलगाड़ी भी देख नहीं पाई है। 61 वर्षों से रेलगाड़ी में सवार होकर रायपुर दुर्ग जाने की आस लगाए तीन पीढ़ियों के सपने पूरे नहीं हो पाए हैं। रावघाट रेल लाइन अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इस आम चुनाव में रेल लाइन का मुद्दा फिर गरमाया हुआ है और राजनीतिक दल फिर आश्वासन की पुड़िया मतदाताओं को बांटने की फिराक में हैं।

कब पूरी होगी रावघाट लाइन

दल्ली राजहरा से रावघाट होकर जगदलपुर तक बिछने वाली रेल लाइन 60 वषों से लंबित है। अब तक उत्तर बस्तर के ताड़ोकी तक इस लाइन का विस्तार कर लिया गया है किंतु रावघाट, नारायणपुर, कोंडागांव होकर जगदलपुर तक रेल लाइन बिछाने का काम एमओयू होने के 9 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। डबल इंजन सरकार आने से रावघाट – जगदलपुर रेल लाइन बिछने की उम्मीद जगी है।

नहीं मिली एक्सप्रेस ट्रेन

बस्तरवासी लंबे समय से जगदलपुर से दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद आदि स्थानों के लिए नई ट्रेन मांग रहे हैं किंतु इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो पाई है।

 चार साल से स्थगित दुर्ग एक्सप्रेस

बस्तरवासियों को प्रदेश की राजधानी से जोड़ने के उद्देश्य से 12 साल पहले शुरु की गई जगदलपुर – दुर्ग इंटरसिटी एक्सप्रेस को समय परिवर्तन कर चलाने की मांग की गई थी किंतु रेल्वे ने घाटा का हवाला देकर पूरे 5 साल से इसके संचलन को बंद कर दिया है। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार के समय इसे प्रारंभ किया गया था। अब दोनों जगह फिर से भाजपा की सरकार अर्थात डबल इंजन सरकार हो गई है, इसलिए बस्तरवासियोंं को बड़ी उम्मीद है कि डबल इंजन सरकार इंटरसिटी एक्सप्रेस को समय परिवर्तन के साथ फिर से शुरु करेगी।

बस्तर को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने 10 अक्टूबर 2012 को जगदलपुर से दुर्ग के मध्य इंटरसिटी एक्सप्रेस शुरू की गई थी। इस ट्रेन की टाइमिंग गलत थी इसलिए बस्तर के नागरिकों ने इंटरसिटी एक्सप्रेस को शाम 6 बजे के बाद जगदलपुर से रवाना करने की मांग की थी ताकि यह ट्रेन सुबह 4 बजे के बजाय 8 बजे पहुंचे और यात्रियों का लंबा समय रात्री विश्राम में बीत जाए, किंतु रेलवे बिलासपुर जोन ने इस ट्रेन को घाटा का हवाला देकर फरवरी 2019 से पूरी तरह से बंद कर रखा है।

थे। इस ट्रेन के बंद होने से डबल इंजन सरकार से उम्मीद  ज्ञात हो कि 10 अक्टूबर वर्ष 2012 में जब दुर्ग इंटरसिटी एक्सप्रेस शुरू की गई थी। तब केंद्र और छत्तीसगढ़ प्रदेश में भाजपा की सरकार थी  और अब भी दोनों जगह भाजपा की सरकार है।

पुराने धमतरी रेल लाइन की उपेक्षा

बस्तरवासी अब जगदलपुर- रावघाट रेल लाइन की अपेक्षा जगदलपुर – कोंडागांव होकर धमतरी – रायपुर जाने वाले पुराने रेल लाइन को महत्व देने लगे हैं  नागरिकों का तर्क है कि यह लाइन भविष्य में किफायती होगा और इसे ही वंदे भारत एक्सप्रेस के हिसाब से मजबूती से तैयार किया जाना चाहिए।

बताया गया कि रावघाट रेल लाइन दुर्ग – रायपुर के लिए सुलभ तो है किंतु आने वाले दिनों में यह बचेली, किरंदुल, रावघाट माइंस, चारगांव, महामाया माइंस, दल्ली राजहरा से लौह अयस्क ढोने का मार्ग बनकर रह जाएगा।  इस रेल लाइन का भविष्य का हश्र भी आने वाले दिनों में किरंदुल- विशाखापट्टनम रेल लाइन की तरह हो जाएगा। लंबे समय से यह मांग है कि रायपुर से माना, कुरूद, धमतरी, दुगली, बोरई, कोंडागांव,भानपुरी,बस्तर, जगदलपुर रेल लाइन का निर्माण किया जाए। इस रेल लाइन के बनने से ही बस्तर को सही मायने में यात्री ट्रेनों के सुविधा मिल पाएगी, चूंकि बस्तर से रायपुर के मध्य इस रेल लाइन में सभी बड़े नगर और गांव हैं। रेल्वे  को घाटा नहीं होगा।

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