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- शाही खानदान एवम नवाबों के वारिसों की होली में सैयद मासूम रज़ा ने कही ये बात
लखनऊ। राजधानी की यह खास बात है कि त्यौहार चाहे हिंदुओं का हो या मुसलमानों का सभी मनाते हैं एक साथ। यह भी गंगा-जमुनी तहजीब की अलामत होते हैं। यह बात बिल्कुल दुरुस्त है कि रंगों का त्यौहार सिर्फ हिंदू ही नही मनातें, बल्कि मुसलमान भी इसे सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। लखनऊ व अवध वालें सदियों से एक-दूसरे के दिलों में मौजूद व रचे-बसे रहते हैं।
सल्तनत मंजिल लखनऊ के रहने वाले रॉयल फैमिली के एडवोकेट सैयद मासूम रज़ा ने बताया कि होली उनके लिए अहम त्यौहार है। इसका उन्हें बेसब्री से इंतजार रहता है। यह त्यौहार हिंदू और मुसलमानों के बीच इत्तेहाद व भाईचारे के रिश्ते को मजबूती अता करता है। यह त्यौहार जात-पात व मजहब से परे हैं। वह बताते हैं कि होली एक ऐसा त्यौहार है जो समाज के सभी कौम व मज़हब व मिल्लत के बीच प्यार और मोहब्बत का रिश्ता मजबूत रखने मे अहम रोल अदा करता है। साथ ही इंसानियत और मोहब्बत का पैग़ाम देता है।
बकौल, मासूम रजा दुनिया में इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं है और न कोई कौम। कभी-कभी तो रिश्तों में आई दूरियों के लिए यह त्यौहार दवा का काम करता है। गिले-शिकवे भुलाकर होली मनाने से रिश्ते में मजबूती आती है। नवाबजादा ने आगे कहा कि वो रंग व गुलाल लगा कर होली का भरपूर मज़ा लेते हैं और दुआ करते हैं की इस तरह का त्यौहार साल में कई बार आए। वो सभी से मिल-जुलकर होली मनाने के लिए भी कहते हैं। बकौल रजा, होली की आग में नफरत को जला दीजिए… प्यार के रंग हर एक को लगा दीजिए”।