माघ मास की गुप्त नवरात्रि आज से शुरू, जानिए पूजा विधि और महत्व

ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा

लखनऊ। साल का पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने में है। साल में जो चार नवरात्रि आते है, जिनमें माघ मास, चैत्र मास, आषाढ़ मास और आश्विन माह में है। ये चारों नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल में आती हैं। इनमें से माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि गुप्त होती है। मां के नौ रूपों में अपार शक्तियां होती है़। इन शक्तियों की प्राप्ति आप भी कर सकते है और अपने जीवन से दुःख परेशानी और दरीद्रता दूर कर पाएंगे।

बताया गया है कि 10 से 18 फरवरी तक माघ महीने की नवरात्रि रहेगी। इस बार गुप्त नवरात्रि शनिवार से शुरू हो रही है। इस दिन बृहस्पति, चंद्रमा से चौथी राशि में रहेगा। इससे गजकेसरी नाम का राजयोग बन रहा है। वहीं, सूर्य और बुध एक राशि में होने से बुधादित्य योग बनाएंगे। इनके साथ पर्वत योग भी बन रहा है। इन तीन योगों में नवरात्रि का शुरू होना बहुत शुभ माना जा रहा है। कई बार तिथियों की गड़बड़ी से नवरात्रि के दिन कम हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। जिससे देवी आराधना के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे। इन दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा करने की परंपरा है। जिसे किसी के सामने नहीं किया जाता है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।

तंत्र साधना और गोपनीय पूजा

गुप्त नवरात्र में देवी की दस महाविद्या की पूजा होती है। इन दिनों में आराधना का विशेष महत्व है सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों होती है, वहीं गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा ही की जाती है। इन दिनों आमतौर पर ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता, अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता भी उतनी ही ज्यादा मिलेगी।

दस महाविद्याएं, देवी के ही दस रूप

देवी दुर्गा की गुप्त साधना और तंत्र-मंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि (Secret Navratri )में देवी काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, ध्रूमावती, बगलामुखी, मातंगी और माता कमला की पूजा की जाती हैं। ये ही दश महाविद्याएं हैं। विद्वानों का कहना है कि इनकी पूजा और साधना से हर तरह की परेशानी दूर होती है और मनोकामना भी पूरी हो जाती है।

मानसिक शुद्धि का उत्सव

गुप्त नवरात्र आध्यात्मिक रूप से भी खास है। ये पर्व आत्मिक और मानसिक शुद्धि का उत्सव है। इसे चेतना का पर्व भी कहा जाता है। इन नौ दिनों में व्रत-उपवास के साथ ही नियम और संयम का पालन किया जाता है। ऐसा करते हुए अपने मन और इंद्रियों को काबू में रखा जाता है। जिससे मन पवित्र रहता है और ब्रह्मचर्य का पालन होने से बुद्धि और चेतना भी बढ़ती है।

महाकाल संहिता में बताए चार नवरात्र

साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती है। पहली माघ शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्लपक्ष में। इस तरह सालभर में कुल चार नवरात्र होते हैं। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। महाकाल (Mahakal) संहिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है। इनमें विशेष तरह की इच्छा की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किया जाता है।

Religion

कड़ा, ब्रेसलेट या लॉकेट पहनें सोच-समझकर, इससे हो सकता है नुकसान

यह रत्न कभी भी एक साथ धारण नहीं करना चाहिए ज्योतिषाचार्य उमाशंकर मिश्र आजकल हाथ में कड़ा पहनने के अलावा ब्रेसलेट आदि पहने का चलन भी हो चला है। कुछ लोग तो फैशन के चलते गले में ऐसी वस्तुएं या लॉकेट भी लटकाने लगे हैं जिनसे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन फैशन […]

Read More
Religion

घर में घेर के आ रही हो परेशानी तो समझें यह विकार हो गया शुरू, जानें परेशानी की वजह, निशानी और उपाय

ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ‘ शास्त्री’ अगर किसी की जन्म कुंडली में सूर्य, शनि साथ-साथ हों या आमने-सामने हों। अगर राहु किसी भी ग्रह के साथ हो तो उस ग्रह से जुड़ा पितृदोष बनता है। राहु सूर्य या गुरु के साथ हो तो प्रमुख पितृदोष बनता है। जन्म कुंडली के 2, 5, 9,या 12 में […]

Read More
Religion

क्या आप जानते हैं नवांश कुण्डली का महत्व और प्रभाव, यदि नहीं तो यह लेख जरूर पढ़ें…

देव नवांश, नर नवांश और राक्षस नवांश के नाम से जाने जाते हैं नवमांश यदि ग्रह अच्छी स्थिति या उच्च के हों तो वर्गोत्तम की स्थिति होती है उत्पन्न -राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद वैदिक ज्योतिष में नवमांश कुण्डली को कुण्डली का पूरक माना गया है। यह एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कुण्डली मानी जाती है क्योंकि […]

Read More