नीतीश हैं सुपर बाजीगर, इनके टक्कर का बिहार में नहीं है कोई जादूगर

पटना से लाइव रतीन्द्र नाथ…

पटना। नीतीश कुमार… कभी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से सियासी निकाह… तो कभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) से निकाह… जब मन करे दे दो तीन तला्क…। भारतीय जनता पार्टी के गृहमंत्री ने भले ही कानून लाकर तीन तलाक को अवैध घोषित कर डाला, लेकिन बिहार के सियासी कुमार यानी नीतीश अभी भी तीन तलाक से दूर नहीं हटे हैं। उन्होंने आज (रविवार) को ठंड से कंपकपाती सुबह (11.05) को बिल्कुल सियासी गर्मी से सराबोर कर दिया और लॉट साहब (राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर) के पास पहुंचकर तलाक… तलाक… तलाक… यानी तीन तलाक ले लिया।

खबरों के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कुमार ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विधायकों, सांसदों और वरिष्ठ नेताओं के साथ मुख्यमंत्री आवास में बैठक में इस्तीफा देने के निर्णय की जानकारी दी। इसके बाद वह अपने वरिष्ठ मंत्रिमंडल सहयोगी विजेंद्र प्रसाद यादव के साथ राजभवन जाकर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर को इस्तीफा सौंप दिया।

खबर लिखे जाने तक गर्वनर को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के समर्थन का पत्र भी सौंप दिया। दो घंटे के इस सियासी ड्रामे को देखकर ऐसा महसूस हुआ कि नीतीश का पुराना शौहर (BJP) उनके इंतजार में पलक पावड़े बिछाए बैठा था। 17 महीने और 18 दिन की बिछुड़न इस फैसले से सिमट गया। उनकी पुराने साथी भाजपा ने ऐसा दिखाया जैसे उनकी बल्ले-बल्ले हो गई।  कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के सुपर बाजीगर हैं और इनके टक्कर का कोई भी राजनीतिक शिकारी बिहार में नहीं है। यदि उनकी काट भाजपा के पास होती तो दो घंटे के अंदर आपात बैठक बुलाकर दो डिप्टी सीएम का नाम तय न होता। इससे साफ है कि बीजेपी भी नीतीश को अपने पाले में करने के लिए तड़प रही थी। राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी के पास अभी कोई ऐसा चेहरा बिहार में नहीं है जो उनकी सियासी जमीन को मजबूत कर सके और अपने बूते बिहार में कमल खिला सके।

चर्चा के हिसाब से सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं। बताते चलें कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी कुशवाहा बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं, जबकि विजय सिन्हा भूमिहार हैं। गौरतलब है यह वही सम्राट चौधरी हैं, जिन्होंने भगवा रंग की पगड़ी बांधना शुरू कर दिया था और कसम खाई थी कि जब तक नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी से नहीं हटेंगे वह पगड़ी नहीं उतारेंगे। विधान परिषद के अंदर नीतीश ने उनसे इशारे-इशारों में पूछा था कि ये आप क्या किए हुए हैं? तो इस पर सम्राट का जवाब था कि यह पगड़ी आपको हटाने के लिए मैंने बांध रखा है और इसे तभी मैं खोलूंगा, जब आप को मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर कर दूंगा और इसमें आपका भी आशीर्वाद चाहिए। तब किसी ने ये नहीं सोचा होगा कि वह पाला बदलकर सीएम की कुर्सी बदलने की बात कर रहे थे। अब वो उनके नायब के रूप में बिहार चलाने की तैयारी में पिल पड़े हैं।

वहीं विजय सिन्हा नीतीश के पुराने कार्यकाल में बिहार विधानसभा  के अध्यक्ष थे। उनकी गिनती राजनीति के भद्र पुरुषों में होती है। सवाल उठता है कि क्या बीजेपी को पहले से इसकी भनक थी या फिर नीतीश ने देर रात उन्हें अपनी सारी कारगुजारी बयां कर चुके थे।

 

 

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