- नेपाल में भी तस्करी का मुद्दा गरमाया, तस्करी से हर महीने हो रहा है सरकारी राजस्व का करोड़ों रुपए का नुकसान
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
भारत-नेपाल पर यूपी के महराजगंज जिले वर्षों से कुंडली मारकर बैठे कुछ सिपाही, दीवान,चालक और दरोगा अभी से लोकसभा चुनाव को देखते हुए आचार संहिता की जानकारी करने लगे हैं। उन्हें डर है कि कहीं आचार संहिता से पहले ही उनका तबादला न हो जाए। बताते चलें की नेपाल सीमा से सटे महराजगंज जिले के कुछ चौकी और कुछ थाने कमाई का जरिया बन चुके हैं ऐसे में कुछ पुलिस कर्मी यहां से हटना नहीं चाहते। वह चाहते हैं कि अगर रिटायर होने तक उनकी तैनाती यहीं पर रहे तो सोने पर सुहागा होता!
बता दें कि भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी जोरों पर है। अभी पिछले दिनों सोनौली और कोल्हुई पुलिस ने करीब एक करोड़ तिहत्तर लाख रुपए मूल्य का 170 किग्रा चरस बरामद किया था। उक्त चरस नेपाल से भारत जा रहा था। पुलिस की चौकसी से पकड़ लिया गया। वहीं पिछले दिनों जिले में तैनात एक दरोगा चरस तस्करी में पकड़ा गया और जेल गया। तस्करी कराने के आरोपी ठूठीबारी कोतवाली के अंतर्गत आने वाली लक्ष्मीपुर पुलिस चौकी के पूरे पुलिस कर्मी लाईन हाजिर भी हो चुके हैं। पुलिस बार-बार यह कहती रही है कि सीमा पर चौकसी कड़ी है तस्करों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके बावजूद महराजगंज जनपद से लगे नेपाल के सीमावर्ती कस्बों और काठमांडू पोखरा तक प्याज और चावल पटा पड़ा है।
जब कि इन दोनों सामानों पर भारत सरकार ने नेपाल निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। नेपाल में डाई और यूरिया खाद की कोई फैक्ट्री भी नहीं है पर वहां इसकी उपलब्धता हमेशा बनी रहती है। इतना ही नहीं पूर्वांचल के बहुतेरे कस्बों और शहरों में नेपाल निर्मित कास्मेटिक सामानों की की धड़ल्ले से विक्री हो रही है। इस सीमा से कबाड़, मोटर पार्ट्स, कपड़ा,चीनी,चावल, प्याज,डीजल-पेट्रोल,चरस, सोना आदि की तस्करी तो जगजाहिर है। नौतनवां नगर के पुराना नौतनवां में एक गोदाम ऐसा है जो चावल व अन्य सामानों की तस्करी के लिए मशहूर है। यही नहीं नेपाल-भारत मैत्री के नाम पर दिल्ली तक चलने वाली तमाम अनाधिकृत बसों से कपड़ा और शराब की बड़े पैमाने पर तस्करी होने की बातें हमेशा आती रहती हैं। बीते दिनों नेपाल कस्टम ने ऐसे कई बसों से तस्करी का सामान बरामद किया है।
बहराइच जिले में भी अनाधिकृत बसों को वहां के जिलाधिकारी के निर्देश पर एआरटीओ ने सीज कर लाखों रूपए जुर्माना वसूला है। दर असल नेपाल के रास्ते भारत आने वाली अधिकांश बसें विना परमिट के चलती हैं। इन बसों को वास्तव में तीर्थयात्रियों के लिए ही नेपाल सरकार परमिट जारी करती है। इन बसों में जाने वाले तीर्थयात्रियों की पूरी लिस्ट होती है। इन्हीं बसों से उन्हें आना और जाना दोनों होता है पर इन बसों का संचालन के यात्रियों को ढोने के लिए ही होता है। यही कारण है कि यूपी, राजस्थान और उत्तराखंड तक भारत-नेपाल सीमा से चलने वाली रोडवेज की बसों का सरकारी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं तमाम निजी चार पहिया छोटे वाहन भी विना परमिट के धड़ल्ले से चल रहे हैं। इनसे भी सरकारी राजस्व का बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है।
सोनौली बार्डर पर तो ऐसी लगभग दो दर्जन टैक्सियां धड़ल्ले से चल रही हैं। इन्हीं टैक्सियों से सोनौली बार्डर पर हमेशा जाम
लगा रहता है। जब किसी बड़े अधिकारी का बार्डर पर दौरा होता है तो थोड़े देर के लिए इन्हें दिखावे के लिए हटा दिया जाता है। सीमा पर दिल्ली से सोनौली तक कुछ बसें और टैक्सियां भी अनाधिकृत तौर पर चलती हैं। जो नेपाल के अन्दर जाकर यात्रियों को उठाती है। इन पर अंकुश लगाना स्थानीय पुलिस और प्रशासन का है पर बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?
बीते बुधवार 24 जनवरी को भैरहवा के उद्योगी व्यवसाई और भंसार एजेंट संघ ने प्रमुख जिलाधिकारी गणेश आर्याल सहित एसपी भरत बहादुर वीका, सशस्त्र प्रहरी बल के एसपी दीपक थापा और भंसार (कस्टम ) चीफ नारद गौतम को एक बैठक के दौरान अवगत कराया की भारत से नेपाल बड़े पैमाने पर विभिन्न सामानों की तस्करी हो रही है यही कारण है कि भंसार का राजस्व 63 प्रतिशत ही रह गया है।
पिछले साल के अलावा इस साल सरकारी राजस्व का 33 प्रतिशत घटा हुआ है। भारत से नेपाल आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा और बार्डर पर सुगमता न होने के मुद्दे पर भी सवाल उठाए गए। जिस सुरक्षा निकायों के अधिकारियों ने तस्करी समेत अन्य विषयों पर जांच कर रोक लगाने की बात कही। भारत-नेपाल सीमा पर रात के अंधेरे में ही तस्करी अंजाम दिया जाता है। सीमा पर इतनी कड़ी चौकसी के बाद अभी भी बदस्तूर तस्करी जारी है।