निर्यात सबसे तेजी से बढ़़ रहा है: PHD चैंबर

नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत 2023 तक दो लाख करोड़ डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति पर विचार कर रहा है क्योंकि कोविड के बाद भारत के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारत की उभरती निर्यात गतिशीलता पर PHD रिसर्च ब्यूरो, PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आज जारी में कहा गया है कि 2021 और 2022 के दौरान निर्यात की वृद्धि क्रमशः 20 प्रतिशत और 9.7 प्रतिशत थी। संगठन ने कहा कि देश 20 प्रमुख निर्यातकों के बीच किये गये सर्वेक्षण के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गयी है। PHD चैंबर के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा कि सरकार की गतिशील नीति के साथ-साथ निर्यातकों के वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जुड़ने के प्रयासों से निर्यात में वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से मजबूत वापसी के बाद पिछले कुछ महीनों के दौरान निर्यात की गति धीमी हो गई थी, हालांकि, अक्टूबर 2023 में निर्यात बढ़ने से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में एक संक्षिप्त मंदी के बाद महत्वपूर्ण पुनरुद्धार के संकेत दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों के दौरान निर्यात में काफी तेजी आई है, जो वित्त वर्ष 2011 में 375 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 770 अरब डॉलर हो गया है। अवधि, गतिशीलता, विकेंद्रीकरण, दिशा और आपदा प्रूफिंग के पांच प्रमुख तत्वों के साथ भारत की नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 की शुरूआत का उद्देश्य निर्यातकों के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। संगठन के कार्यकारी निदेशक डॉ. रणजीत मेहता ने कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार और इसके विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के आधार पर विचार करते हुए भारत के निर्यात को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि एफटीपी 2023 का उद्देश्य प्रत्येक राज्य को वैश्विक व्यापार के साथ एकीकृत करने में सक्षम बनाने के लिए प्रचार और विकास करके वैश्विक बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है, जो भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने के दृष्टिकोण के अनुरूप एक कदम है।

उन्होंने कहा कि टोगो, नीदरलैंड, ब्राजील, इज़राइल, इंडोनेशिया, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब और बेल्जियम जैसे उभरते उच्च विकास गंतव्य और चीनी एवं मिष्ठान्न, खनिज ईंधन और तेल, एल्यूमीनियम और अन्य वस्तुयें, अकार्बनिक रसायन जैसे उच्च विकास निर्यात वस्तुएं है। जहाज, रबर और ऑप्टिकल, फोटोग्राफिक, चिकित्सा उपकरण भारत की निर्यात वृद्धि को नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष 10 निर्यात स्थलों ने पिछले पांच वर्षों ( वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2023 औसत) के दौरान लगातार वृद्धि देखी है, जिसमें टोगो (73 प्रतिशत), नीदरलैंड (36 प्रतिशत), ब्राजील (28 प्रतिशत), इज़राइल (27 प्रतिशत) शामिल हैं। , इंडोनेशिया (24 प्रतिशत), तुर्की (22 प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (20 प्रतिशत), दक्षिण अफ्रीका (19 प्रतिशत), सऊदी अरब (16 प्रतिशत) और बेल्जियम (13 प्रतिशत) शामिल है।

अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच इन देशों को निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। ये देश भारत के निर्यात के लिए प्रमुख विकास स्थल बन रहे हैं, हालांकि आने वाले समय में निर्यात में और अधिक वृद्धि होनी है। रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष 10 अत्यधिक बढ़ती निर्यात वस्तुओं ने पिछले पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2023 औसत) के दौरान लगातार उच्च वृद्धि देखी है, जिसमें चीनी और कन्फेक्शनरी (43 प्रतिशत), खनिज ईंधन और तेल (36 प्रतिशत), विद्युत मशीनरी और पार्ट्स (27 प्रतिशत) शामिल हैं। एल्यूमीनियम और वस्तुएं (18 प्रतिशत), अकार्बनिक रसायन, कीमती और दुर्लभ धातुएं (16 प्रतिशत) विविध रासायनिक उत्पाद (16 प्रतिशत), अनाज (14 प्रतिशत), लोहा और इस्पात (12 प्रतिशत), जहाज, नावें और फ्लोटिंग संरचनाएं (11 प्रतिशत), रबर और वस्तुयें (11 प्रतिशत) और ऑप्टिकल, फोटोग्राफिक, चिकित्सा उपकरण (10 प्रतिशत) शामिल है। अग्रवाल ने कहा कि उच्च वृद्धि-उच्च मात्रा वाली निर्यात वस्तुओं में भारत की निर्यात वृद्धि को नई ऊंचाई तक बढ़ाने की महत्वपूर्ण क्षमता है।

उद्योग जगत ने छह अंकों के हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस कोड) के आधार पर 75 उत्पादों की पहचान की थी, ये 75 वस्तुएं वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के कुल निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत हैं, जिससे पता चलता है कि इन वस्तुओं में भारत के निर्यात को बढ़ावा देने की काफी संभावनाएं हैं। बहरहाल, भारत वैश्विक बाजारों में बड़े पैमाने पर संभावनाओं की खोज करते हुए इन वस्तुओं के निर्यात को बढ़ा सकता है, क्योंकि वे वैश्विक निर्यात का केवल 6प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। इन 75 उत्पादों में 2022-23 में भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में 6प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले दो वर्षों के दौरान सेवाओं की 24 प्रतिशत (औसत) की वृद्धि सराहनीय है क्योंकि सेवाओं ने वैश्विक बाजारों में काफी लचीलापन और मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता दिखाई है। सेवा निर्यात की वृद्धि 2030 तक दो लाख करोड़ डॉलर के निर्यात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक प्रमुख वाहक होगा। (वार्ता)

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