सिद्धनाथ पाण्डेय स्मृति शास्त्रीय संगीत सम्मेलन में पद्मभूषण पं.साजन मिश्र का गायन

पिता पुत्र की सुघड़ गायिकी ने किया मुग्ध

लखनऊ। पं.राजन मिश्र के गोलोकवासी होने के बाद मिश्र बंधुओं की जोड़ी में पं.साजन मिश्र के साथ पुत्र स्वरारांश के युवा स्वर जुड़े तो लखनऊ के संगीत प्रेमियों को कलामंडपम प्रेक्षागृह कैसरबाग में एक नई अनुभूति मिली। श्रद्धा मानव सेवा कल्याण समिति के तत्वावधान में शास्त्रीय संगीत के विद्वान और सुप्रसिद्ध अधिवक्ता स्वर्गीय सिद्धनाथ पाण्डेय जन्मशती के उपलक्ष्य में यहां शास्त्रीय संगीत सम्मेलन आयोजित किया गया था। इण्डियन बैंक और संस्कृति निदेशालय के सहयोग से आयोजित सम्मेलन का शुभारंभ भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.मांडवी सिंह, इंडियन बैंक के क्षेत्रीय महाप्रबंधक पंकज त्रिपाठी, संयोजक आलोककुमार पांडेय और अध्यक्ष अचला बोस ने स्व.सिद्धनाथ के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

प्रो.सीमा भारद्वाज के संचालन में प्रारंभ हुए कार्यक्रम में पं.धर्मनाथ मिश्र और पं.अरुण भट्ट के निर्देशन में प्रखर पांडेय, नमन सिंह और जूही पांडेय के साथ वाद्यों पर अनंत प्रजापति, हर्षित शर्मा, मनोजकुमार व आलोक कुमार पांडेय (तबले पर) ने गणपति स्तुति- गाइए गणपति जगवंदन…. प्रस्तुत की। वाराणसी के नीरज मिश्र ने अरुण भट्ट की उम्दा तबला संगत में सितार पर मधुर अंदाज में राग मियां मल्हार विलंबित और द्रुत ताल में एक मिश्र धुन के साथ प्रस्तुत किया। पं. अरुण ने सिद्धनाथजी का स्मरण करते हुए उनकी पसंद की बंदिशें भी सुनायीं। किशन महाराजबके भी शिष्य रहे पूना के विख्यात तबला नवाज अरविंद कुमार आजाद ने अंगुलियों का फन तीन ताल और पं. अनोखेलाल की गतों व अन्य पुरानी श्रवणीय बंदिशों में दिखाया।

संगीत के बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले दादा बड़े रामजी मिश्र और पिता हनुमान मिश्र के शिष्य पद्मभूषण पं.साजन मिश्र और उनके स्वरमण्डल लेकर बैठे पुत्र पं.स्वरांश मिश्र ने गायन की शुरुआत सावन के मौसम के अनुरूप राग मेघ की बंदिश- कैसे धीर धरूं…. से शास्त्रीय आलाप के संग की और आगे दादागुरु की की- बादर गरज नव घोर….. जैसी रचनाओं को स्वर दिए। पिता-पुत्र की इस सुघड़ जोड़ी की गायिकी को तबले पर अरविंद आजाद और हरमोनियम पर पं.धर्मनाथ मिश्र ने और सजा दिया। इससे पहले प्रो.मांडवी सिंह ने कहा कि क्षेत्र वकालत होते हुए भी इटावा के स्वर्गीय सिद्धनाथ पाण्डेय संगीत के सिद्धहस्त जानकार थे और नई पीढ़ी व लोगों को शास्त्रीय संगीत की दिशा में प्रेरित किया। मुख्य अतिथि पंकज त्रिपाठी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा ये आयोजन पुत्र की पिता को सच्ची श्रद्धांजलि है। सम्मेलन में डा.पूर्णिमा पांडे, पं.शीतल प्रसाद मिश्र व संगीत जगत के अनेक विद्वान, विद्यार्थी और संगीत प्रेमी सम्मिलित हुए।

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