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बाराबंकी। आचार्य शिव मोहन महराज अपने भक्त गणों से कहते हैं कि नवरात्रि के तीसरे दिन माता चन्द्रघण्टा की पूजा की जाती हैं। माता चन्द्रघण्टा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याण कारी है इस लिए कहा जाता है। हमे पवित्र विग्रह को ध्यान में रख कर साधना करनी चाहिए। देवी का ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनो के लिए कल्याणकारी सद्गति देने वाली है माता का मुकुट अर्धचन्द्राकार होने से ही नाम चन्द्रघण्टा पड़ा मां दुर्गा ने अवतार लिया था।
जब महिषासुर जैसे दैत्यो का अत्याचार बड़ा देवताओं से सग्राम चल रहा। महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करके विजय प्रप्त करना चाहता थी। तभी माता दुर्गा ने चन्द्रघण्टा का स्वरूप में पल भर में दैत्यों का संहार किया माता का शान्त स्वरूप की जो भक्त सच्चे मन से पूजन अर्चन करता है। सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है सभी हिन्दुत्य सनातनियो को चाहिए नव दिन पवित्र मन से व्रत उपवास कर देवी की पूजा आराधना कर अपने इहलोक और परलोक को सफल बनाए।