आमलकी एकादशी का जन्म-मरण और आंवले से क्या है नाता

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


आमलकी एकादशी का व्रत तीन मार्च 2023 को किया जाएगा। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। एकादशी पर रात्रि जागरण करने से श्रीहरि बेहद प्रसन्न होते हैं। हर एकादशी का अपना महत्व और लाभ है। कहते हैं आमलकी एकादशी व्रत के प्रभाव से साधक जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति पाकर विष्णु लोक को प्राप्त होता है। इसे आंवला एकादशी और रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी व्रत में कथा के बिना पूजन का फल नहीं मिलता।

आमलकी एकादशी पर आंवले की पूजा का महत्व

पुराणों में फाल्गुन माह की आमलकी एकादशी पर आंवले का महीमा का वर्णन किया गया है।

फाल्गुने मासि शुक्लायां,एकादश्यां जनार्दन:।

वसत्यामलकीवृक्षे,लक्ष्म्या सह जगत्पति:।

तत्र संपूज्य देवेशं शक्त्या कुर्यात् प्रदक्षिणां।

उपोष्य विधिवत् कल्पं, विष्णुलोके महीयते।।

अर्थ – आमलकी एकादशी वाले दिन स्वयं भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं, यही वजह है कि इस दिन आमलकी के वृक्ष का पूजन और परिक्रमा करने से लक्ष्मीनारायण प्रसन्न होते हैं और साधक की धन-दौलत में बढ़ोत्तरी होती है। व्यक्ति समस्त पापों से मुक्ति हो जाता है।

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आमलकी एकादशी का मुहूर्त

फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी तिथि शुरू – दो मार्च 2023, सुबह 6.39

फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी तिथि समाप्त – तीन मार्च 2023, सुबह 9.12

आमलकी एकादशी व्रत पारण समय – सुबह 06.48 – सुबह 09.09 (4 मार्च 2023)

आमलकी एकादशी कथा : पौराणिक कथा के अनुसार इस सृष्टि का सृजन करने के लिए भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी की उत्तपत्ति हुई थी। ब्रह्मा जी के प्रकट होने के बाद वह स्वंय के बार में जानना चाहते थे। उनके जीवन का उद्देश्य क्या है? उनका जन्म कैसे हुआ है? उन्होंने इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए भगवान विष्णु की तपस्या आरंभ कर दी। सालों तक ब्रह्मा जी तपस्या में लीन रहे। ब्रह्मा जी के कठोर तप से प्रसन्न होकर जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु जी ने उन्हें दर्शन दिए।

जन्म-मरण से मुक्ति के लिए आंवले की पूजा

भगवान विष्णु को अपने समक्ष पाकर ब्रह्म देव भावुक हो गए। उनके दोनों आंखों से आंसू बहने लगे। उन आंसुओं से ही आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई। शास्त्रों के अनुसार उस दिन एकादशी तिथि थी। श्रीहरि ने कहा कि आज से जो भी फाल्गुन शुक्ल एकादशी को व्रत रखकर आंवले के पेड़ के नीचे उनकी पूजा करेगा या फिर पूजन में आंवले का फल उन्हें अर्पित करेगा उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाएगी। भगवान विष्णु ब्रह्मा से बोले की ये पेड़ आपके आंसुओं से उत्पन्न हुआ है, इसलिए इसमें समस्त देवताओं का वास होगा, इसका हर अंग पूजनीय होगा।


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