पंचक क्यों लगता है, क्या होता है असर

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


हिन्दू पंचांग अनुसार प्रत्येक माह में पांच ऐसे दिन आते हैं जिनका अलग ही महत्व होता है। जिन्हें पंचक कहा जाता है। प्रत्येक माह का पंचक अलग अलग होता है तो किसी माह में शुभ कार्य नहीं किया जाता है। तो किसी माह में किया जाता है।

पंचक क्यों लगता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है। इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। अर्थात पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक’ कहा जाता है।

पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव:-

‘अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।

संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।’-मुहूर्त-चिंतामणि

अर्थात:- पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।

  1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
  2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।
  3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की संभावना रहती है।
  4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
  5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।

नहीं करते हैं ये कार्य…

  1. 1.लकड़ी एकत्र करना या खरीदना
  2. मकान पर छत डलवाना
  3. शव जलाना
  4. पलंग या चारपाई बनवाना
  5. दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।
  6. अन्य कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य।
  7. मान्यतानुसार किसी नक्षत्र में किसी एक के जन्म से घर आदि में पांच बच्चों का जन्म तथा किसी एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर पांच लोगों की मृत्यु होती है। पंचक में मरने वाले व्यक्ति की शांति के लिए गरुड़ पुराण में उपाय भी सुझाए गए हैं।

ज्योतिषी और हस्तरेखाविद/ सम्पर्क करने के लिए मो. 9611312076 पर कॉल करें,


 

Central UP Religion

मां चन्द्रघण्टा की पूजा से होती है हर कामना पूर्ण: आचार्य शिव मोहन महराज

बाराबंकी। आचार्य शिव मोहन महराज अपने भक्त गणों से कहते हैं कि नवरात्रि के तीसरे दिन माता चन्द्रघण्टा की पूजा की जाती हैं। माता चन्द्रघण्टा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याण कारी है इस लिए कहा जाता है। हमे पवित्र विग्रह को ध्यान में रख कर साधना करनी चाहिए। देवी का ध्यान हमारे इहलोक और […]

Read More
Religion

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री जगदंबा दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी के नाम से प्रतिष्ठित है। इन्होंने स्वयं तपस्या के माध्यम से प्राणिमात्र को सन्देश दिया। उन्होंने तपोबल के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। तपस्या के बल पर परमात्मा की कृपा को प्राप्त किया जा सकता है। सामान्य भक्त भी देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना से सर्वसिद्धि को […]

Read More
Religion

आपकी राशि एवं कुंडली के अनुसार करे देवी पूजन

ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा नवरात्रि में राशि के अनुसार देवी का चयन कर साधना विधानपूर्वक की जाए तो अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी। राशि के अनुसार साधना क्रम दिया जा रहा है- मेष  : इस राशि के जातक भगवती तारा, नील-सरस्वती या माता शैलपुत्री की साधना करें। वृषभ : इस राशि के जातक भगवती षोडशी-श्रीविद्या […]

Read More