Hindi Language

Purvanchal

लोकतंत्र अपनी भाषा में पुष्पित, पल्लवित एवं समृद्धि होती है : प्रो. चित्तरंजन मिश्र

उमेश चन्द्र त्रिपाठी फरेंदा /महराजगंज । लोकतंत्र की मजबूती अपनी भाषा में ही सम्भव है, भारत में संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा एवं राजभाषा अधिनियम के बारे में वर्णित है। हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का पहला प्रस्ताव दक्षिण भारत से आयंगर जी के माध्यम से आया। यह कहना है दीन दयाल […]

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