- टूटते संयम के साथ टूट रहा यकीन भी
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। दस जून 2010 की शाम लखीमपुर-खीरी जिले के निघासन थाना परिसर में मासूम बच्ची की हत्या कर शव को फांसी के फंदे से लटका दिया गया था। इस सनसनीखेज मामले का राजफाश हुआ तो वहशी आम आदमी नहीं बल्कि दागी पुलिसकर्मी निकले थे। इस मामले को खबर में दर्शाने की जरूरत इस लिए पड़ी कि लालच, हवस, प्रेम-प्रसंग में जान लेने की चलन बहुत पुरानी चली आ रही है। सआदतगंज क्षेत्र में 21 दिसंबर 2012 को जमीन कारोबारी 56 वर्षीय गुलाम रसूल की हत्या उसकी प्रेमिका किरन ने अपने मित्र व भाई के साथ मिलकर की थी।
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23 नवंबर 2025 को मोहनलालगंज क्षेत्र स्थित धर्मावत खेड़ा में दूसरे लड़कों के संबंध होने के शक पर प्रेम के दीवाने बीबीडी क्षेत्र स्थित लोनापुर गांव निवासी आलोक रावत ने बीएससी की छात्रा प्रियांशी रावत के ऊपर चाकू से ताबड़तोड़ वारकर मौत की नींद सुला दिया। महत्वकांक्षा अब रिश्तों और भरोसे पर भारी पड़ रहा है। बदलते परिवेश में लोगबाग एक-दूसरे का विश्वास खो बैठे हैं। तनाव, लालच, आपसी खींचतान, नफरत, किसी को अपने जाल में फंसाकर उसका कत्ल या वजह कोई और हो, लेकिन कड़वा सच तो यह है कि राजधानी लखनऊ में पिछले साल भर के भीतर कई ऐसी घटनाएं हुई, जिनमें कातिल गैर नहीं बल्कि जानने वाले या फिर रिश्ते में कोई चाचा, चाची, पति-पत्नी भाई-बहन या प्रेमी का खूनी चेहरा सामने आया।
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धर्मावत खेड़ा गांव निवासी 19 वर्षीय प्रियांशी रावत और कातिल आलोक रावत की मुलाकात एक शादी समारोह में थी। इस दौरान आलोक और प्रियांशी एक-दूसरे का मोबाइल फोन नंबर ले लिए और वहीं से खेल शुरू हो गया। दोनों के बीच इस कदर मोबाइल फोन पर वार्ता होने लगी कि आलोक प्रियांशी के घर की दहलीज तक आ गया और दोनों एक-दूसरे पर जान न्योछावर करने लगे कि इसी दौरान आलोक को शक हुआ कि उसकी प्रेमिका प्रियांशी किसी और को अपना दिल दे बैठी है। बस इसी तड़प को आलोक रावत प्रियांशी को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने की ठान ली और रविवार को घर में घुसकर प्रियांशी रावत के ऊपर चाकू से ताबड़तोड़ वारकर मौत के घाट उतार दिया। अब खूनी आलोक रावत सलाखों के पीछे है।
