चच्चा ने 10 महीने पहले ही दिया था गच्चा, समझ और संभल नहीं पाए तेजस्वी

  • …फिर नीतीशे कुमारः बढ़ी सुरक्षा पेंशन ने लिखी जीत की इबारत
धर्मेंद्र सिंह यादव
धर्मेंद्र सिंह यादव

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। पहले ही घंटे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का ऐसा ग्राफ चढ़ा कि दोपहर एक बजे तक पूरा मामला एकतरफा हो गया। बिहार में NDA की बहार ऐसी चली कि हर कोई जीत गया। भारतीय जनता पार्टी (BJP) सूबे में सबसे बड़ी पार्टी बनकर (89) उभरी। हालांकि इस बम्पर जीत के कई मायने हैं, लेकिन नीतीश और अमित शाह की चाल में बिहार ऐसा फंसा कि अबकी बार फिर नीतीशे कुमार की सरकार आ गई।

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इस बार भी ‘पल्टू चाचा’ का जादू चला और वो एकतरफा बिहार जीत ले गए। लेकिन इसके पीछे उनकी हाड़तोड़ मेहनत के साथ-साथ उनके खजाने का भी जादू चला है। ‘अबकी बार नीतीशे सरकार’ की फिक्र हुई तो सुशासन बाबू (नीतीश को बिहार में इसी नाम से लोग पुकारते हैं) ने अपना सरकारी खजाना खोल दिया। लगातार उनके पिटारे से वोटरों की जेब भरने के नुस्खे निकल रहे थे। ये एक दिन का कमाल नहीं था, इस काम में नीतीश तकरीबन 10 महीने से मसरूफ थे। लिहाजा, नीतीश आल मास्टर ‘जगलर’ यानी बाजीगर की भूमिका में हैं। बाजीगर वह होता है जो यह ट्रिक जानता है कि कैसे हारी हुई बाली को पलटकर उसे जीत में तब्दील किया जा सकता है।

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इस विजय पताका को फहराने वास्ते नीतीश कुमार ने इसी साल जून के आखिरी सप्ताह में ऐसा मास्टर स्ट्रोक लगाया कि ‘टीम इंडिया’ चारों खाने चित हो गया, विशेषकर तेजस्वी यादव। दरअसल जून 2025 की 21 तारीख को नीतीश कुमार ने सूबे के दो करोड़ अवाम का दिल खुश कर दिया था। अपने इस ऐलान द्वारा कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा पेंशन की जो राशि 400 रुपया प्रति माह मिलती थी, अब वह सीधें 1100 रुपये प्रति माह मिला करेगी। यह सिर्फ मुनादी ही नहीं थी बल्कि इसे फौरन लागू भी कर डाला गया था। पैसे जुलाई 2025 से पेंशनधारियों के खाते में आने लगे थे।

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बताते चलें कि मध्यप्रदेश में भी यह फंडा शिवराज सिंह चौहान ने अपनाया था। नतीजतन 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान वहां भाजपा की सत्ता में वापसी हुई थी। वैसे नीतीश के इस निर्णय से बुजुर्ग, महिला और दिव्यांगों में काफी खुशी का माहौल भी दिखने लगा था। नीतीश ने जून महीने में इस सरकारी फैसले के बाद अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ पर लिखा था- ‘वृद्ध समाज का अनमोल हिस्सा हैं… उनका सम्मानजनक जीवन-यापन सुनिश्चित करना हमारी उच्चतम प्राथमिकता है.. राज्य सरकार इस दिशा में लगातार काम करती रहेगी..।’ बहरहाल झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले हेमंत सोरेन ने ‘मईयां सम्मान योजना की रकम 1000 से बढ़ाकर 2000 कर दी थी। तब हेमंत के खिलाफ माहौल बन गया था, लेकिन उऩ्होंने अपने बूते सरकार बना ली।

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