शाश्वत तिवारी
ओटावा। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 13 नवंबर को यहां G7 विदेश मंत्रियों की आउटरीच बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बैठक में वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षित एवं खुले जलमार्ग सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस दौरान डॉ. जयशंकर ने हिंद-प्रशांत सहयोग पर चर्चा की और सुरक्षित एवं लचीले समुद्री क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। विदेश मंत्री की यह भागीदारी 11 नवंबर से शुरू हुई कनाडा की उनकी तीन दिवसीय यात्रा का हिस्सा थी। ऊर्जा सुरक्षा एवं महत्वपूर्ण खनिजों पर आयोजित आउटरीच सत्र में भाग लेने के बाद डॉ. जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, दोनों मुद्दों पर निर्भरता कम करने, पूर्वानुमान को मजबूत करने और लचीलापन बनाने की आवश्यकता पर बात की। अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। वैश्विक आपूर्ति में अनिश्चितता और बाजार की सीमाओं पर ध्यान दिया। अधिक नीतिगत परामर्श और समन्वय सहायक हैं।

विदेश मंत्री ने इससे पहले महासागर दृष्टिकोण, हिंद-प्रशांत सहयोग और बंदरगाह-आधारित विकास के माध्यम से भारत के दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। अपनी टिप्पणियों के मुख्य अंश साझा करते हुए, उन्होंने पोस्ट किया विश्वसनीय और विविध समुद्री संपर्कों की अनिवार्यता है। भारत द्वारा अपने नौवहन बुनियादी ढांचे को उन्नत करने और लचीले गलियारों के विकास के प्रयास जारी हैं। महत्वपूर्ण समुद्री और समुद्री बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। समुद्री खतरे और आर्थिक अपराध, जिनमें समुद्री डकैती, तस्करी और आईयूयू मछली पकड़ना शामिल है, गहन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के पात्र हैं।
पोस्ट में आगे कहा गया समुद्री क्षेत्र में भारत का प्रथम प्रतिक्रियादाता के रूप में उदय और संयुक्त अभ्यासों और रसद समझौतों के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में HADR साझेदारी को गहरा करने का हमारा प्रयास है। वैश्वीकृत दुनिया में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समृद्धि के लिए समुद्री व्यापार का बड़ा महत्व है और हमारे सामूहिक एजेंडे को सुरक्षित करने में लचीले बंदरगाहों और सुरक्षित जलमार्गों की केंद्रीय भूमिका है। UNCLOS को बरकरार रखा जाना चाहिए।
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आउटरीच बैठक से पहले 12 नवंबर को डॉ. जयशंकर ने कई देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय चर्चा भी की, जिनमें ब्रिटेन की विदेश मंत्री यवेटे कूपर, जर्मनी के जोहान वेडफुल, ब्राजील के मौरो विएरा, फ्रांस के जीन-नोएल बैरोट, मेक्सिको के डॉ. जुआन रामोन डे ला फुएंते, कनाडा की अनीता आनंद, यूक्रेन के एंड्री सिबिहा और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि काजा कालास शामिल रहे। उन्होंने सस्केचेवान के प्रधानमंत्री स्कॉट मो और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भी मुलाकात की और प्रमुख वैश्विक साझेदारों के साथ रणनीतिक सहयोग को गहरा करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
