नगर आयुक्त ने फेंट दिए सालों से जमे अफसर, नगर आयुक्त और महापौर विवाद में नया मोड़

  • किसी को कुर्सी बदलने की भनक तक नहीं लगी

आशीष द्विवेदी

लखनऊ। नगर निगम लखनऊ में ऩगर आयुक्त और महापौर के बीच सार्वजनिक हो चुके विवाद में उस समय नया मोड़ आ गया जब नगर आयुक्त ने महापौर के करीबी समझे जाने वाले और एक ही कुर्सी पर सालों से काबिज अफसरों को ताश के पत्ते की तरह फेंट दिया है। दिलचस्प बात तो यह है कि सालों से कुर्सी में जमें इन अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी। एक मीटिंग के बाद इनको एक लिफाफा थमा दिया गया जिसमें उनकी कुर्सी बदलने का आदेश था। अफसरों के चेहरों की हवाईयां उड़ी हुयी हैं।

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बताते चलें कि यह विवाद उस समय सामने आया था जब पिछले दिनों हुयी नगर निगम कार्यकारिणी बैठक नहीं हो सकी। सुबह 11 बजे बैठक शुरू होते ही कार्यकारिणी सदस्यों ने कूड़ा उठाने से लेकर स्ट्रीट लाइटों के मुद्दे पर अफसरों को घेरा और अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह पर कार्रवाई की मांग को लेकर कई पार्षद धरने पर बैठ गए। इस बीच महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त से कहा कि उनकी ओर से पिछली बैठकों से जुड़ी कार्ययोजना के मिनट्स और पुनरीक्षित बजट की जानकारी तक नहीं दी गई है। जवाब में नगर आयुक्त गौरव कुमार ने दावा किया कि पूरी जानकारी मेयर कैंप कार्यालय भेज दी गयी थी। नगर आयुक्त के इस जवाब से कार्यकारणी में हंगामा बढ़ गया और बैठक स्थगित हो गई। इस विवाद के बाद लखनऊ के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने शहर की सफाई व्यवस्था को खुद देखने की बात की और शहर के भ्रमण को निकलने लगे। इस बीच नगर आयुक्त ने भी शहर में जगह-जगह भीषण गंदगी देख मातहतों को जमकर लतेड़ा। सोमवार को इस मामले में नया मोड़ तब आया जब नगर आयुक्त गौरव कुमार ने सात जोनल अधिकारियों, पांच जोनल सेनेटरी अफसरों के साथ 20 से अधिक अफसरों के जोन बदल डाले।

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जोन छह और आठ के जोनल अधिकारियों को हटाकर अधीक्षक पद पर तैनात किया गया है, जबकि जोन पांच के जोनल अधिकारी नंद किशोर को कर अधीक्षक का पद स्वीकार न करने पर केवल प्रभारी विधि की जिम्मेदारी दी गई है। नए आदेश के अनुसार, आकाश कुमार को जोन-3, शिल्पा कुमारी को जोन-4, संजय यादव को जोन-2 का जोनल अधिकारी बनाया गया है। सहायक नगर आयुक्त विनीत कुमार सिंह को जोन-5 और रामेश्वर प्रसाद को जोन-7 की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं राजस्व वसूली में खराब प्रदर्शन और तीन साल से एक ही जोन में तैनाती को आधार बनाकर कई अफसरों को हटाया गया। अजीत राय को कर अधीक्षक जोन-7, मनोज यादव को जोन-3, सभाजीत यादव को जोन-5, आलोक श्रीवास्तव को जोन-3, अनुराग उपाध्याय को जोन-1, जोन-3 के जोनल अधिकारी अमरजीत यादव को जोन-6 की जिम्मेदारी मिली। इसके साथ ही सेनेटरी अफसरों को भी इधर से उधर कर दिया गया। सचिन सक्सेना (जोन-5), जितेंद्र गांधी (जोन-8), विशुद्धानंद त्रिपाठी (जोन-6), संचिता मिश्रा (जोन-7), सत्येन्द्र नाथ (जोन-8), राजेश कुमार (जोन-6), मीरा राव (जोन-8), विजेता द्विवेदी (जोन-6) को नई जिम्मेदारी दी गई है।

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सबसे दिलचस्प बात ये है कि किसी भी अफसरों को इस फेरबदल की भनक तक नहीं लगी। नगर निगम में ऐसा पहला मौका आया जब अफसरों को उनके तबादले की भनक तक नहीं लगी। हुआ यूं कि नगर आयुक्त ने सोमवार को स्मार्ट सिटी कार्यालय में बैठक बुलाई थी। जोनल अधिकारी और कर अधीक्षक वसूली रिपोर्ट लेकर पहुंचे थे। बैठक में आने के बाद उन्हें बंद लिफाफे में नया आदेश थमा दिया गया । लिफाफा देखकर कई अफसरों को नोटिस के कयास लगाए पर कुछ ही देर बाद यह आदेश देखकर वे भौंचक्के रह गए। नगर आयुक्त ने उसी समय सभी से नए तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने की लिखित रिसीविंग भी ले ली। इतना ही नहीं नगर आयुक्त ने चेतावनी भी जारी कर दी है कि कोई भी अधिकारी सिफारिश करने की कोशिश करेगा तो इसे अनुशासनहीनता मानते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी। ट्रांसफर के बाद कुछ अधिकारियों ने फाइलों पर हस्ताक्षर करने से इन्कार किया। हालांकि, देर शाम तक कई जोनल अधिकारी और कर अधीक्षक ने अपना नया कार्यभार संभाल लिया।

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