राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
कार्तिक माह में पड़ने वाला रोहिणी व्रत मुख्य रूप से जैन समुदाय के लोगों के लिए बहुत खास है। यह व्रत उस दिन किया जाता है जब रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, इसलिए इसे रोहिणी व्रत कहते हैं। वहीं, ज्योतिष और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य और उनके पति को दीर्घायु प्राप्त होती है। साथ ही, यह व्रत करने से व्यक्ति के आत्मा के विकार दूर होते हैं, कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है और घर से दरिद्रता व आर्थिक समस्याएं नष्ट हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है। यही कारण है कि हर माह में पड़ने वाले रोहिणी व्रत से कही अधिक ज्यादा शुभ माना जाता है कार्तिक माह का रोहिणी व्रत।
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कार्तिक रोहिणी व्रत कब है?
कार्तिक माह में रोहिणी व्रत कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर पड़ता है। ऐसे में हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल पंचमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन शाम 7 बजकर 38 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसका समापन 11 अक्टूबर, शनिवार के दिन शाम 4 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, कार्तिक रोहिणी व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा।
कार्तिक रोहिणी व्रत चंद्रमा पूजन मुहूर्त
कार्तिक माह में पड़ने वाले रोहिणी व्रत यानी 11 अक्टूबर, शनिवार के लिए चंद्रमा पूजन का मुहूर्त रात्रि में रहेगा क्योंकि यह कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है और इस तिथि पर चंद्रमा देर से उदय होता है। पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रोदय का समय रात 09 बजकर 10 मिनट है। ऐसे में चंद्रमा की पूजा एवं चंद्र अर्घ्य इसके समय के बाद कभी भी दिया जा सकता है।
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कार्तिक रोहिणी व्रत महत्व
कार्तिक माह में पड़ने वाला रोहिणी व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है यानी विवाहित महिलाओं को उनके पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप और दुख दूर होते हैं, कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि तथा धन-धान्य का आगमन होता है।
रोहिणी व्रत की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
आचमन कर व्रत का संकल्प लें और सूर्य भगवान को जल अर्पित करें।
पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद वेदी पर भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित करें।
पूजा में भगवान वासुपूज्य को फल-फूल, गंध, दूर्वा, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
सूर्यास्त होने से पहले पूजा कर फलाहार करें।
अगले दिन पूजा-पाठ करने के बाद अपने व्रत का पारण करें।
व्रत के दिन गरीबों में दान जरूर करें।
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ध्यान रखें ये नियम
जैन धर्म में रोहिणी व्रत एक पवित्र अनुष्ठान है, ऐसे में इस दिन स्वच्छता और शुद्धता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी रोहिणी व्रत कर सकते हैं। सूर्यास्त के बाद इस व्रत में भोजन नहीं किया जाता। इस व्रत को लगातार तीन, पांच या सात साल तक रखना जरूरी माना जाता है। पारण अनुष्ठान करने के बाद ही इस व्रत को पूर्ण माना जाता है।
