भारतीय संविधान के असली निर्माता सर बीएन राव को संवैधानिक मान्यता देकर मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाय : अनिल किशोर पाण्डेय

  • सर बी एन राव को वैधानिक रूप से संविधान निर्माता घोषित करने और भारत रत्न सम्मान देने के सम्बंध में सर्व ब्राह्मण समन्वय समिति ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

गोरखपुर । सर्व ब्राह्मण समन्वय समिति, गोरखपुर के संरक्षक इंजिनियर अनिल किशोर पाण्डेय की अगुवाई में राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सर बी एन राव को वैधानिक रूप से संविधान निर्माता घोषित करने और भारत रत्न सम्मान देने के सम्बंध में शनिवार को जिलाधिकारी गोरखपुर को पत्र दिया गया। जिसमें भारत के राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए सर बेनेगल नरसिंह राव ( बी एन राव) को संविधान निर्माता वैधानिक रूप से घोषित करने और भारत रत्न सम्मान देने के सम्बंध में मांग किया गया है। सर्व ब्राह्मण समन्वय समिति के संरक्षक इंजिनियर अनिल किशोर पाण्डेय के नेतृत्व में लोगों ने भारत के राष्ट्रपति से मांग किया है कि सर बेनेगल नरसिंह राव का जन्म 26 फरवरी 1887 को मैसूर ( अब कर्नाटक) में हुआ था। इनके माता का नाम श्रीमती सुशीला राव तथा पिता का नाम  बेनेगल राघवेन्द्र राव था। ये दो भाई थे। इनके छोटे भाई का नाम बी0 शिव राव था जो एक पत्रकार और राजनीतिज्ञ थे। ये एक सम्पन्न सारस्वत ब्राह्मण कुल से थे।

इंजिनियर अनिल किशोर पाण्डेय ने पत्र में आगे लिखा है कि सर बी एन राव साहब भारतीय विधिवेत्ता, राजनयिक तथा न्यायाधीश थे। भारत का संविधान बनाने में इनकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। इन्होने मद्रास विश्व विद्यालय से स्नातक की उपाधि ली थी और बाद में कैंब्रिज विश्व विद्यालय से शिक्षा ग्रहण किया था। सन 1905 ई0 में अंग्रेजी,भौतिकी और संस्कृत विषय में ट्रिपल फर्स्ट डिग्री तथा सन 1906 ई0 में गणित विषय में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। अपने प्रतिभा के बल पर कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से ट्रिपॉस की छात्रवृत्ति लिया। यह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइ0 सी0 एस0 ) की नौकरी किये थे।

बी एन राव साहब को सन 1946 ई0 में भारतीय संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया था। उन्होंने भारतीय संविधान का प्रथम मसौदा तैयार किया था। मौलिक अधिकार को न्याय संगत और गैर न्याय संगत में विभाजन की सिफारिश किया था जिसे संविधान सभा ने स्वीकार कर लिया था। मार्च 1948 से 1950 तक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया था। 1950 से 5 जून 1952 तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के प्रतिनिधि रहे। भारतीय संविधान को मूर्त रूप देने वाले इस महापुरुष को भुला दिया गया और वोट की राजनीति के चलते इतिहास की सच्चाई को छिपाया गया। सन 1946 ई0 में वर्मा के प्रधान मंत्री मिस्टर यू0 यांग सान से नई दिल्ली में मुलाक़ात हुई और उनके अनुरोध पर भारत से वर्मा देश के लिए 1947 ई0 में वर्मा देश का संविधान बनाने के लिए सलाहकार के रूप में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। उन्होंने वहां का भी संविधान लिखा। इन्होने संविधान और कानून पर अनेक पुस्तकें लिखकर अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है। सर बी एन राव साहब की मृत्यु अल्पायु में 66 वर्ष की अवस्था में 30 नवम्बर 1953 को स्विट्जरलैंड के ज़्यूरिख़ में हो गई। वोट की राजनीति के नाते संविधान निर्माण में सर बी एन राऊ के योगदान को दुनिया के सामने न लाकर उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय है। पत्र के अंत में इंजिनियर अनिल किशोर पाण्डेय ने महामहिम राष्ट्रपति महोदया से सादर अनुरोध करते हुए लिखा है कि वह इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का कष्ट करें जिससे भारत के संविधान का असली निर्माता सर बी एन राव साहब को संवैधानिक मान्यता दिया जाय तथा मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाय।

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