उन्होंने कहा कि महिला अपराध में हत्या के मामलों में वर्ष 2024 में 2023 की तुलना में 1.75 प्रतिशत की कमी आई है, केवल 56 मामले हत्या के दर्ज किये गये। दहेज हत्या के मामलों में 2024 में 2023 की तुलना में 20 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2024 में 530 अपहरण के मामले प्राप्त हुए, जिसमें से 94 प्रतिशत मामलों का अनावरण किया गया। बलात्कार के मामलों में भी 98 प्रतिशत मामलों का अनावरण हुआ है। साईबर अपराध के प्रति उत्तराखण्ड में पुलिस द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है। परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में वर्ष 2023 की तुलना साईबर यौन अपराधों में 13 प्रतिशत की कमी आई है।
मीडिया को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड व्यूरो की वर्ष 2023 की रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें हिमालयी राज्यों से गुमशुदा बच्चों के बारे में आंकडो को भी प्रकाशित किया गया है। एक प्रतिष्ठित न्यूज पेपर द्वारा इस रिपोर्ट में उल्लिखित आंकडों को गलत प्रकार से अपनी रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया है। जिससे जनता में एक भ्रामक स्थिति पैदा हो गई है जिसके लिए इस प्रेस कांन्फ्रेंस के माध्यम से स्थिति को स्पष्ट किया जा रहा है। वर्ष 2023 में राज्य में कुल 1025 बच्चे गुमशुदा हुऐ थे जिसमें 729 बालिकायें तथा 296 बालक शामिल थे।
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जिसके सापेक्ष उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा 654 बालिकायें तथा 279 बालकों सहित कुल 933 बच्चों को वर्ष 2023 के अन्त तक बरामद कर लिया गया था। यह आंकडे एनसीआरबी रिपोर्ट में प्रकाशित किये गये है। वर्तमान स्थिति के बारे में स्पष्ट करते हैं कि उपरोक्त शेष 92 गुमशुदा बच्चों से 77 बच्चों को भी बरामद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक प्रतिष्ठित न्यूज पेपर में प्रकाशित रिपोर्ट में 933 बच्चे जो पुलिस ने बरामद किये थे, उनको गुमशुदा दिखाया है, जो कि गलत है। उत्तराखण्ड पुलिस निरंतर अपराध को नियंत्रित करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है, अनेक ऑपरेशन चला रही है, निरंतर अपराधों का अनावरण किया जा रहा है।
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