- फिरोजाबाद जेल में भी हुई बंदी की जमकर धुनाई
- न्यायालय ने जेलर, डिप्टी जेलर और वार्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश
- आगरा जिला जेल, कांसगंज, एटा के बाद फिरोजाबाद जेल भी सुर्खियों में
- आगरा और कांसगंज जेल में अभी तक नहीं हुई किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही
लखनऊ। आगरा परिक्षेत्र के DIG जेल से परिक्षेत्र की जेल संभाले नहीं सम्भल रही हैं। जिला कारागार आगरा, कांसगंज, एटा के बाद फिरोजाबाद जेल भी बवाल होने का मामला प्रकाश में आया है। इस जेल में एक विचाराधीन बंदी की इस तरह बर्बर पिटाई की गई की जान मचाना मुश्किल हो गया। पिटाई का शिकार हुए इस बंदी ने जा न्यायालय में शिकायत की तो न्यायालय ने फिरोजाबाद जेल के जेलर, डिप्टी जेलर और एक वार्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने का आदेश दिया है। उधर विभाग के उच्चाधिकारी इस गंभीर मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए।
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अभी हाल ही में हमीरपुर जेल में जेल प्रशासन के अधिकारियों के निर्देश पर बंदी की इतनी पिटाई की गई कि उसकी मौत हो गई। इस मामले में जेलर समेत कई अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही भी की गई। इस घटना के बाद भी जेल अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया। सूत्रों का कहना है कि जेल में दहेज को लेकर बंद हुए विचाघीन बंदी जैकी और वार्डर के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया। वार्डर ने इसकी सूचना डिप्टी जेल भदौरिया को दी। डिप्टी जेलर ने मौके पर पहुंचकर बंदी की जमकर पिटाई करवा दी। इस पिटाई की घटना से जेल में हड़कंप मच गया।
सूत्रों का कहना है कि पिटाई से घायल बंदी ने पेशी के दौरान न्यायालय में पेश होकर अपनी पीठ पर बने निशान व अन्य चोट दिखाई। इसके साथ ही बंदी ने मुलाकात, मशक्कत मोटी रकम लेने के साथ जेल अंदर कैंटीन का स्टाल लगाकर मनमाफिक दामों पर बेचे जा रहे बर्गर, पिज्जा, समोसा इत्यादि खाद्य सामग्री बेचकर बंदियों से अनाप जाने वसूली के साथ उत्पीड़न किए जाने की भी बात कही। न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जेलर, ड्यूटी जेलर और वार्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने का निर्देश दिया। न्यायालय के इस आदेश के बाद से जेल प्रशासन के अधिकारियों में खलबली मची हुई है।
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उल्लेखनीय है कि बीते दिनों आगरा जिला जेल का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें जेल प्रशासन के बंदियों से मोटी रकम वसूलने के लिए किए जा रहे उत्पीड़न को खुलासा हुआ। इसके साथ ही कासगंज जेल में वसूली में अधीक्षक का साथ नहीं देने वाले करीब तीन दर्जन वॉर्डरो को स्पष्टीकरण देने के साथ कुछ का डी ओ तक कर दिया गया। यही नहीं एटा जेल के दबंग महिला जेल अधीक्षक के उत्पीड़न और वसूली से अजिज आकर जेलर और प्रभारी जेलर ने उनके साथ काम करने तक से मना कर दिया। हकीकत यह है कि वसूली में जुटे आगरा परिक्षेत्र के डीआईजी का मातहत अधिकारियों के साथ जेलों पर कोई नियंत्रण ही नहीं है। यही वजह है कि परिक्षेत्र के जेलें धन उगाही, बंदियों के उत्पीड़न को लेकर सुर्खियों में बनी हुई है। जेलों में हुई घटनाओं को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
जेलों में अव्यवस्थाओं के लिए शासन जिम्मेदार!
आगरा परिक्षेत्र की जेलों में अव्यवस्थाओं के लिए शासन भी कम जिम्मेदार नहीं है। प्रमुख सचिव कारागार ने आगरा परिक्षेत्र के डीआईजी पी एन पांडेय को परिक्षेत्र के साथ कारागार मुख्यालय का भी प्रभार सौंप रखा है। सूत्रों का कहना है डीआईजी कारागार मुख्यालय सप्ताह में पांच दिन लखनऊ में और दो दिन शनिवार और रविवार को आगरा में रहते हैं। दो दिन में एक दिन जेल अवकाश का दिन होता है। एक दिन में परिक्षेत्र की आठ जेलों का न तो सुचारू रूप से निरीक्षण हो पाता है और न ही व्यवस्थाओं की सही जानकारी हो पाती है। लखनऊ से सवा तीन सौ किलोमीटर दूर होने के कारण जेलों पर निगरानी रख पाना भी आसान नहीं है। इस संबंध में जब कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान और प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग से बात करने का प्रयास किया गया तो इनका फोन ही नहीं उठा।

