CM की सख्ती के बाद बेसिक शिक्षा विभाग एक्शन मोड में, ध्वस्त होंगे जर्जर भवन

  • सुरक्षा के सवाल पर कोई समझौता नहीं, हर जिले में जर्जर विद्यालय भवनों की होगी पहचान, मूल्यांकन और तत्काल ध्वस्तीकरण
  • सुरक्षा सर्वोपरि: लापरवाही पर सख्त कार्यवाही तय, विभाग का फोकस है, ‘सुरक्षा, जवाबदेही और त्वरित कार्रवाई: संदीप सिंह
  • बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर समयबद्ध, प्रभावी और ठोस कार्रवाई अनिवार्य की गयी है: श्यामकिशोर

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त चेतावनी के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालय परिसरों में स्थित जर्जर भवनों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए विभाग ने सभी जिलों को निर्देशित किया है कि वे जर्जर ढाँचों का तत्काल चिह्नांकन कर सत्यापन, मूल्यांकन और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को शीर्ष प्राथमिकता दें। यह निर्णय हाल ही में कुछ विद्यालय परिसरों में जर्जर भवनों की स्थिति उजागर होने के बाद लिया गया है, जिससे बच्चों की जान को खतरा और विभाग की छवि दोनों प्रभावित हुए हैं। अब विभाग का फोकस है, ‘सुरक्षा, जवाबदेही और त्वरित कार्रवाई।’

इस सम्बन्ध में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यदि किसी जर्जर भवन के गिरने या किसी प्रकार की दुर्घटना की सूचना मिलती है, तो संबंधित अधिकारी को सीधे उत्तरदायी मानते हुए उसके विरुद्ध कठोर विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह

सत्यापन और मूल्यांकन की प्रक्रिया को गति

विभिन्न जनपदों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर जर्जर भवनों की स्थिति को देखते हुए प्रत्येक जनपद में जर्जर ढाँचों का तत्काल चिह्नांकन कर तकनीकी समिति को सत्यापन एवं मूल्यांकन हेतु सूची सौंपी जाएगी। यह कार्य समयबद्धता के साथ सुनिश्चित कराना संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी। पूर्व में चिह्नित ढाँचों के भी शीघ्र सत्यापन और रिपोर्टिंग हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।

सुरक्षित स्थानों पर रहेगी पठन-पाठन की वैकल्पिक व्यवस्था

तकनीकी समिति द्वारा जर्जर घोषित किए गए भवनों में किसी भी प्रकार की शैक्षणिक गतिविधियाँ संचालित नहीं की जाएँगी। विद्यार्थियों के पठन-पाठन की समुचित व्यवस्था अन्य सुरक्षित कक्षों, विद्यालय भवनों, पंचायत भवनों या ग्राम सचिवालय आदि में कराना जाना अनिवार्य किया गया है।

जिन्हें न ध्वस्त किया जा सके, उन्हें ‘निष्प्रयोज्य’ घोषित कर सील किया जाएगा

यदि किसी कारणवश जर्जर ढाँचों को तत्काल ध्वस्त नहीं किया जा सकता, तो ऐसे भवनों की चारों दीवारों पर ‘निष्प्रयोज्य’ या ‘प्रवेश निषेध’ लिखवाना अनिवार्य किया गया है। साथ ही उन्हें चिनाई कर पूर्ण रूप से सील करने के निर्देश भी दिये गये हैं, जिससे विद्यार्थियों की पहुँच उस स्थान तक न हो सके।

छतों की सफाई और जल निकासी सुनिश्चित करने के निर्देश

विद्यालय भवनों की छतों पर जलजमाव, पत्तों और कचरे के कारण सीलन की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे भवन क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। ऐसे में नगर पंचायत/ग्राम पंचायत के माध्यम से छतों की नियमित साफ सफाई और जलनिकासी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी।

सुरक्षा सर्वोपरि: लापरवाही पर सख्त कार्यवाही तय
निर्माण यूनिट विशेषज्ञ श्यामकिशोर तिवारी कहते हैं कि कई विद्यालय परिसरों में अब भी ऐसे ढाँचे मौजूद हैं जो अत्यंत जर्जर हो चुके हैं और कभी भी गिर सकते हैं। इससे बच्चों और शिक्षकों की जान को गंभीर खतरा बना रहता है। हालांकि, शासन स्तर से इस संबंध में पूर्व में कई निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन हाल ही में कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित तस्वीरों ने विभाग की छवि को प्रभावित किया है। ऐसे में अब समयबद्ध, प्रभावी और ठोस कार्रवाई अनिवार्य हो गई है। बेसिक शिक्षा विभाग का यह कदम विद्यालय परिसरों की भौतिक सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा और परिषदीय विद्यालयों के प्रति समाज में विश्वास को भी सुदृढ़ करेगा।

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