आईजी जेल से संभाले नहीं संभल रहा जेल विभाग! प्रदेश की जेलों में थमने का नाम नहीं ले रहीं घटनाएं

  • अल्फाबेटिकल व्यवस्था से बढ़ी जेलों में आत्महत्याएं

राकेश यादव

लखनऊ। आईजी जेल के तुगलकी फरमान से जेलों में आत्महत्याओं की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। विभाग में जेल में इस्तेमाल के लिए खरीदी गई वस्तुओं को घर ले जाने पर अंकुश लगाने वाले कर्मियों की पिटाई कर दी जा रही है। प्रयागराज जिला जेल में जेल प्रशासन के उत्पीड़न से परेशान होकर एक बंदी ने फांसी लगाकर जान दे दी। इससे पहले जेलों में बंदियों के लगातार आत्महत्याएं करने के बावजूद आईजी जेल ने आजतक किसी दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। जेलों में आए दिन हो रही घटनाओं को लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कयास लगाए जा रहे है कि आईजी जेल से कारागार विभाग संभाले नहीं संभल रहा है। आईजी जेल मीटिंगों में व्यस्त है वहीं जेलों में घटनाएं थम नहीं रही हैं।

नैनी जिला जेल में विचाराधीन बंदी की संदिग्ध मौत

प्रदेश की जेलों में बंदियों के आत्महत्याओं की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रयागराज की नैनी जिला जेल में बंदी की गलत रिहाई पर कोई कार्यवाही नहीं होने के बाद शनिवार को एक विचाराधीन बंदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बंदी के परिजनों का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं हत्या है। जेल प्रशासन की लापरवाही से बंदी की मौत हो गई। इस मौत ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक प्रयागराज नैनी इलाके के इंदलपुर के रहने वाले अफरोज अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर सात जून को जेल भेजा था। दो दिन पहले बंदी जेल में 2 दिन पहले बंदी अफरोज का शुगर लेवल कम हो गया था। बंदी की हालत बिगड़ने पर उसको जेल के अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान मौका पाकर उसने अहाते में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

अफरोज के पिता अफसर अली का कहना है कि दो दिन पहले उसकी मां उससे मिलने भी गई थी। उस दौरान वह बिल्कुल ठीक था। परिजनों का आरोप है जेल प्रशासन की लापरवाही से उनके बेटे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं हत्या है। इसकी जांच कराकर दोषी अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।

कैंची घर ले जाने से मना करने पर कर दी प्रशिक्षक की पिटाई

राजधानी की आदर्श कारागार में कपड़ा उद्योग के लिए खरीदी गई कैंची घर ले जाने से रोकने पर अधिकारियों ने प्रशिक्षक की जमकर पिटाई कर दी। जेलर कार्यालय में हुई मारपीट की घटना के बाद प्रताड़ित प्रशिक्षक न्याय पाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है। विभाग के आला अफसर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात तो दूर पिटाई का शिकार हुए प्रशिक्षक का दर्द सुनने तक को तैयार नहीं हैं।

सूत्रों के मुताबिक आदर्श कारागार में कई उद्योग संचालित किए जा रहे है। इसमें कपड़ा उद्योग भी शामिल है। इस उद्योग में कैदी वस्त्र के साथ सुरक्षाकर्मियों की वर्दी भी सिली जाती है। बीते दिनों कपड़ा कटाई के लिए जेल प्रशासन ने कैंची की खरीद फरोख्त की। इन कैंचियों में एक कैंची जेटीएस से स्थानांतरित होकर आए डिप्टी जेलर को पसंद आ गई। वह कैंची को लेकर घर चले गए। इसका कपड़ा उद्योग के प्रशिक्षक ने विरोध किया। कागजी खानापूर्ति नहीं होने से डिप्टी जेलर आक्रोशित थे।

सूत्रों बताते है कि बीते सप्ताह प्रशिक्षक किसी कार्य से जेलर कार्यालय में बैठा था। इसी दौरान वहां डिप्टी जेलर पहुंच गया। कैंची को लेकर दोनों में नोंकझोंक होने लगी। देखते देखते मामला मारपीट में तब्दील हो गया। डिप्टी जेलर ने अपने साथी डिप्टी जेलर के साथ मिलकर प्रशिक्षक की जमकर धुनाई कर दी। इससे जेल में अफरा तफरी मच गई। मारपीट का शिकार हुआ प्रशिक्षक इन दिनों न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि आला अफसरों तक से गुहार लगाने के बाद भी उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। उधर इस संबंध में जब जेलर अजय राय से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।

अल्फाबेटिकल व्यवस्था से मौत को गले लगा रहे बंदी!

आईजी जेल की अल्फाबेटिकल बैरेक आवंटन की व्यवस्था के बाद से जेलों में बंदियों के आत्महत्या की घटनाएं बढ़ गई है। इस व्यवस्था से बंदी और अधिकारी दोनों ही अवसाद में आ गए हैं। बंदी अवसाद में आने से मौत को गले लगा रहे हैं, वही अधिकारी इस व्यवस्था से कमाई करने में जुटे हुए है। बीते दो माह में मैनपुरी, झांसी में दो दो बंदी, लखनऊ, बरेली, इटावा, महोबा, हमीरपुर, प्रयागराज, फिरोजाबाद समेत कई अन्य जेलों में दर्जनों बंदी मौत को गले लगा चुके हैं। मुख्यालय के अफसर इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

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