- पत्रकार भाई संदेश तिवारी पूरे कानपुर में सरकारी दफ्तर-दफ्तर खा रहा धक्के, कोई सुनवाई नहीं
- पैसे लेन-देन में आए नए कानून की पेंचीदगी का फायदा उठाकर स्थानीय पुलिस कर रही खेल
विनय प्रताप सिंह
लखनऊ। आज के जमाने में रोज कहीं न कहीं डिजिटल अरेस्ट और फ्रॉड करके साइबर अपराधी ठगी कर रहे हैं। लेकिन उन सबसे 100 कदम आगे यह मामला है। आप सुनकर दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे। सगे भाई की जगह फ्रॉड ने कूटरचित आधार कार्ड बनवाया और मृतक का करोड़ों के बीमा की रकम डकार गया। जबकि सगा भाई पत्रकार होने के बावजूद दर-दर को ठोकरें खा रहा है। उसने डीएम से लेकर पुलिस कमिश्नर सबसे गुहार लगाई, लेकिन उसकी सुनवाई कहीं नहीं हुई।

जानकारी के मुताबिक कानपुर शहर में जालसाजों ने आरोपी ने फर्जीवाड़ा करके मृतक के नॉमिनी का ही कूटरचित फर्जी आधारकार्ड बनकर मृतक के LIC, HDFC, ICICI इंश्योरेंस बीमा की कुल नौ बीमा पॉलिसीज से करोड़ों रुपये पार कर लिए। फ्रॉड करने वाले ने न केवल आधार को कूटरचित बनवाया, बल्कि मुम्बई स्थित एक बैंक के खाते में चल रहे हस्ताक्षर को भी फर्जी करा लिया और उसी ब्रांच के चेक के आधार पर उसने अपनी कूटरचित मंशा पूरी कर ली।
ये भी पढ़ें
पति कर रहा था अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रोमांस… पत्नी ने दी जान
मिली जानकारी के अनुसार कानपुर के रहने वाले शक्तिप्रकाश का निधन 23 फरवरी 2023 को हो गया था। मरने से पहले उन्होंने नामी-गिरामी बीमा कंपनियों में करोड़ों का बीमा कराया था। खाताधारक शक्ति प्रकाश अविवाहित थे, उन्होंने अपने छोटे भाई संदेश तिवारी से अधिक स्नेह के चलते उन्हें बीमा कम्पनी सहित तीन बैंक खातों में नॉमिनी बनाया था। उनके मरने के करीब पांच माह बाद से उनके बीमा खाते से सारा पैसा निकाल लिया जाता है। उनके भाई जब बीमा की जानकारी करने व बीमा राशि को निकालने बीमा कंपनी के दफ्तर पहुंचे तो यह सुनकर उनके होश उड़ गए कि सारा पेमेंट हो चुका है। पता चला कि शक्ति प्रकाश के फ्रॉड नॉमिनी ने बीमा पॉलिसीज से सारा पैसा उड़ा ले गया। उन्होंने बीमा अधिकारियों को बताया कि मृतक ने तो उन्हे नॉमिनी बनाया है। ऐसे में ये पैसा किसने और कैसे निकाल लिया।
बीमा कंपनी के दस्तावेजों से उनको पता चला कि देश के नामी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के मुम्बई स्थित केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान के एक वैज्ञानिक स्वदेश प्रकाश ने फर्जीवाड़ा करके नौ बीमा पॉलिसीज के पूरे रुपये निकाले लिए है । इस दौरान आरोपी ने करोड़ों के फ्रॉड को बड़ी आसानी से अंजाम दिया। मृतक के भाई ने अपने साथ हुए इस धोखे और अपने पैसे के लिए कानपुर दक्षिण पुलिस एडीसीपी को प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर कारवाई करते हुए तत्कालीन एडीसीपी अंकिता शर्मा ने जांच बाद एफआईआर का आदेश दिया।
ये भी पढ़ें
मामले में पुलिस ने जांच की इस दौरान विभिन्न बीमा पॉलिसीज में नोटिस के जरिए कूट रचित दस्तावेज वाले ठोस सबूत भी हासिल किए । मामले में पुलिस की जांच पूरी होने पर पीड़ित द्वारा तत्कालीन एडीसीपी महेश कुमार से एफआईआर दर्ज करने के लिए गुहार की गई। लेकिन पुलिस ने पीड़ित की एक नहीं सुनी और इस दौरान टरकाती रही। आज भी पीड़ित पुलिस चक्कर लगा रहे हैं पर वहां भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कानपुर पुलिस क्षेत्राधिकार का हवाला देकर पीड़ित को परेशान कर रहीं है और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में पीड़ित पैसों और न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है ।
पीड़ित ने दस्तावेज के मुताबिक बताया कि आरोपी स्वदेश प्रकाश ने फ्रॉड क्लेम दौरान मृतक शक्ति प्रकाश के देहांत के करीब साढ़े चार माह बाद बीमा पॉलिसी के नॉमिनी संदेश तिवारी को मुंबई की एक एचडीएफसी ब्रांच में अपने खुद के 2009 में खोले खाते में फ्रॉड को आसानी से अंजाम देने के लिए बिलकुल फर्जी तरह से ज्वाइन कर लिया । इसी खाते का चेक आरोपी स्वदेश प्रकाश ने क्लेम दौरान बीमा कम्पनियों को दिया।
ये भी पढ़ें
कानपुर तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश सिंह के पास गुहार लेकर पहुंचे संदेश तिवारी को डीएम ने यह कहकर टरका दिया कि मामला पुलिस का है, आप वहीं सम्पर्क करिए। जब तत्कालीन सीपी अखिल कुमार ने भी उन्हें बड़ी आसानी से टरका दिया। वहीं फ्रॉड करने वाला बड़े सुकून से जिंदगी जी रहा है। पुलिस का कहना है कि पैसे के मामले में हम अब सीधे FIR नहीं लिख सकते। पहले कोई सीओ स्तर का अधिकारी इसकी छानबीन करेगा, उसके बाद फाइल थाने वापस आएगी, तब जाकर हम एफआईआर लिखते हैं। शायद कानून की इस पेंचीदगी का फायदा आरोपी उठा रहा है और पीड़ित को कहीं न्याय नहीं मिल पा रहा है।
