अहंकार के जाने के बाद ही मन में प्रेम के भाव उपजते हैं: ओशो
अहंकार और प्रेम एक साथ नहीं हो सकते। अहंकार भी अंधकार की भांति है। वह प्रेम की अनुपस्थिति है, वह प्रेम की एब्सेंस है। वह प्रेम की मौजूदगी नहीं है। हमारे भीतर प्रेम अनुपस्थित है इसलिए हमारे भीतर ‘मैं’ का स्वर, ‘मैं’ का स्वर बजता चला जाता है, बजता चला जाता है। और हम इस … Continue reading अहंकार के जाने के बाद ही मन में प्रेम के भाव उपजते हैं: ओशो
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