कविता : आधुनिकता ने ढीट बना डाला है,

माता पिता बच्चे का तुतलाना भी कैसे पूरी तरह समझ लेते हैं, बच्चा माँगे तोतली बोली में जो, माता-पिता वह सब लाकर देते हैं। पिता गोद में ले, कंधे पर बैठाकर घुमाने बच्चों को ले कर जाता है, घोड़ा घोड़ी ख़ुद बनकर पीठ पर, बैठाकर ख़ुद सवारी बन जाता है। कविता : सम्भाल लेते हैं … Continue reading कविता : आधुनिकता ने ढीट बना डाला है,