कविता : परंपरा व आस्था पर प्रहार

परंपरा व आस्था पर प्रहार, सरेआम आधुनिक भारत में, अपने ही लोगों के द्वारा देखा, वो रौंद गये एक लक्ष्मण रेखा। होली के पहले ही होली जैसे, मानस पृष्ट धूधू कर जला दिया, भारतीय सनातन संस्कृति को, अधर्मियों ने पैरों से कुचल दिया। जिस मानस पर गौरव हम करते हैं, उसकी सारी मर्यादा ही भूल … Continue reading कविता : परंपरा व आस्था पर प्रहार