कविता : उधार का एहसान

दोस्ती और रिश्तेदारी में उतने पैसे ही उधार देना चाहिये जितने उधार देकर बस भूल जाने की सामर्थ्य हो, दोस्त या रिश्तेदार खोने का मन हो। हमारी सनातन से पृथा है आयु में बड़ों को सम्मान किया जाता है, अब थोड़ा सा फर्क आ गया है, आय में बड़े का सम्मान होता है। पर अब … Continue reading कविता : उधार का एहसान