ओशोवाणी: आस्तिक और नास्तिक के बीच में बस यही अंतर

साधक के जीवन का एक ही लक्ष्य है: इस बात को खोज लेना कि मेरे भीतर दो हैं। एक जो सकारण है, वही संसार है। और एक जो अकारण है, वही परमात्मा है। सकारण का अर्थ होता है कि कारण हट जायें तो वह मिट जायेगा। अकारण का अर्थ होता है, कुछ भी हो, कोई … Continue reading ओशोवाणी: आस्तिक और नास्तिक के बीच में बस यही अंतर