आठ अरब नागरिकों के मानव अधिकार की बात भ्रमपूर्ण

भारत सनातन संस्कृति का संवाहक है। हमारे देश में अनेकों ऐसे दृष्टांत शास्त्रों में पहले से अभिकल्पित हैं जो सम्पूर्ण पृथ्वी के लोगों और प्रकृति के भी संरक्षण की एक संवेदनशील संकल्पना रखते हैं। दुनिया में मानवाधिकार की संकल्पना तो आधुनिक संकल्पना है लेकिन हमारे देश भारत में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की बात की गई … Continue reading आठ अरब नागरिकों के मानव अधिकार की बात भ्रमपूर्ण